सरकार ने कहा- डेटा का गलत इस्तेमाल करने वाली कंपनियों पर होगी कार्रवाई
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सरकार ने कहा- डेटा का गलत इस्तेमाल करने वाली कंपनियों पर होगी कार्रवाई

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘भारत आज डेटा के अनुसंधान और विश्लेषण का बड़ा केंद्र बन रहा है.'

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली:  सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा को बताया कि लोगों के डेटा इकट्ठा करने वाली कंपनियां अगर इन डेटा का गलत इस्तेमाल करेंगी तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. निजी कंपनियों द्वारा इकट्ठा किए जाने वाले डेटा के इस्तेमाल और डेटा सुरक्षा के बारे में बीजेपी सदस्य विकास महात्मे द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन को बताया, ‘भारत आज डेटा के अनुसंधान और विश्लेषण का बड़ा केंद्र बन रहा है. हम आधार के जरिए हर रोज तीन करोड़ लोगों की पहचान प्रमाणित करते हैं.’ 

नीतियां बनाने में डेटा की अहमियत के बारे में बताते हुए प्रसाद ने प्रश्नकाल में कहा, ‘उदाहरण के तौर पर - अगर किसी क्षेत्र में बच्चों को बीमारी हो रही है तो सरकार के पास डेटा होना चाहिए कि किस आयु वर्ग के बच्चों को बीमारी हो रही है और इसका कारण क्या है. डेटा से नीतियों को प्रामाणिक बनाने में मदद मिलती है. इसलिए डेटा सुरक्षा और उनसे नीतियां बनाने की प्रक्रिया, दोनों को साथ लेकर चलना है.’ 

मंत्री ने कहा, ‘लेकिन निजी कंपनियां जो डेटा लेती हैं, उनका उपयोग उन्हें सार्थक और रचनात्मक तरीके से करना चाहिए. हम इसका स्वागत करेंगे. लेकिन अगर (निजी कंपनियां डेटा का) दुरुपयोग करेंगी तो सरकार कार्रवाई करेगी.’

सरकार ने सदन में यह भी बताया कि भारत में हर रोज लगभग 3.5 करोड़ लोगों की पहचान आधार के जरिए प्रमाणित की जा रही है जबकि 2.19 लोगों की पहचान वर्चुअल आईडी (वीआईडी) के जरिए प्रमाणित की जा रही है. 

वर्चुअल आईडी के इस्तेमाल के बारे में कांग्रेस सदस्य सुब्बीरामी रेड्डी और तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय के सवालों के जवाब में प्रसाद ने बताया कि आज भारत में 130 करोड़ की आबादी में 121 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास आधार कार्ड हैं. आधार सुशासन और धन की बचत का अच्छा जरिया है. 

मंत्री ने कहा, ‘कुछ लोगों का कहना था कि एक प्रौद्योगिकीय विकल्प तैयार किया जाए जिससे हमें प्रमाणन के लिए आधार की जरूरत नहीं पड़े. सरकार और यूआईडीएआई ने इस सुझाव को गंभीरता से लिया और वर्चुअल आईडी की व्यवस्था शुरू करने का फैसला किया. वर्चुअल आईडी में 16 अंक होते हैं जबकि आधार कार्ड में 12 अंक होते हैं. 

उन्होंने कहा, ‘जब भी कोई वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल करता है तो तकनीकी व्यवस्था से उसे प्रमाणित किया जा सकता है और इस क्रम में उस व्यक्ति की आधार संख्या का भी खुलासा नहीं होता. भारत में हम हर रोज 3.5 करोड़ लोगों की पहचान आधार के जरिए प्रमाणित करते हैं और 2.19 करोड़ लोगों की पहचान वर्चुअल आईडी से की जाती है.’

मंत्री ने कहा, ‘लेकिन जब हम क्षेत्र में जाते हैं तो कई लोग कहते हैं कि वो वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे. इसलिए हमने वैकल्पिक व्यवस्था की है कि जो वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल करना चाहते हैं, वो ऐसा कर सकते हैं और जो आधार से पहचान प्रमाणित कराना चाहते हैं, वे आधार के जरिए ऐसा कर सकते हैं.’

बीजेपी सदस्य विनय सहस्रबुद्धे ने सवाल किया कि आधार को लेकर मीडिया में आ रही गलत खबरों से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, क्या सरकार ने आधार के फायदे बताने के लिए शिक्षकों, प्राध्यापकों, आंगनबाड़ी सेविकाओं आदि की मदद से कोई जनजागरण अभियान शुरू करने का फैसला किया है? 

इस पर प्रसाद ने बताया, ‘आधार की उपयोगिता उसके काम से आनी चाहिए.’ 

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्री ने कांग्रेस सदस्यों की ओर संकेत करते हुए कहा ‘आधार शुरू किया उन लोगों (कांग्रेस) ने. बाद में हमने उसे कानूनी जामा पहनाया. निजता की चिंता की. विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने आधार की तारीफ करते हुए कहा है कि सुशासन और लोक सेवा आपूर्ति के लिए यह एक बेहद कारगर व्यवस्था है.’ मंत्री ने कहा, ‘आधार की लोकप्रियता बढ़ी है. स्वीकार्यता बढ़ी है. इसके बारे में जागरूकता पैदा करने के और प्रयास किए जाने चाहिए.’

निजी कंपनियों द्वारा इकट्ठा किए जाने वाले डेटा के नियमन के उपायों पर द्रमुक सदस्य कनिमोझी के सवाल के जवाब में प्रसाद ने कहा, ‘‘सरकार ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश बी एन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है जो डेटा संरक्षण के उपायों पर विचार करने में जुटी है. समिति विचार-विमर्श कर रही है. हमें उम्मीद है कि समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट देगी जिसके बारे में संसद को भी जानकारी दी जाएगी.’’ 

मंत्री ने कहा, ‘‘बड़ा मुद्दा यह है कि एक मुद्दा निजता का है जबकि दूसरी तरफ भारत के डिजिटल ताकत के तौर पर उभरने की बात है. हमें दोनों में व्यावहारिक तरीके से तालमेल बिठाना होगा. मैं समिति की रिपोर्ट आने तक इस पर ज्यादा कुछ नहीं कह सकता. हम उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्देशित निजता के अधिकार का पूरा सम्मान करते हैं. लेकिन निजता आतंकवादियों या भ्रष्ट लोगों के लिए सहारा नहीं होना चाहिए.’’ 

डेटा इकट्ठा करने के नियमन पर प्रसाद ने कहा, ‘‘हमने फेसबुक को बहुत कड़ा संदेश दिया था. उसे माफी मांगनी पड़ी. कैंब्रिज एनालिटिका को भी नोटिस दिया गया था. यह भी जरूरी है कि अपने डेटा को ऑपरेट करने वाले लोगों को भी इसकी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए. उन्हें सहमति नहीं देना चाहिए. सवाल करते रहना चाहिए.’’ 

मंत्री ने आगे कहा, ‘‘जहां तक कानूनी उपाय करने का सवाल है तो हम उस पर श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट आने पर बात करेंगे. लेकिन यूजर को भी आंखें मूंद कर सहमति नहीं देनी चाहिए. 

डेटा निजता को लेकर ट्राई की हालिया सिफारिशों पर राजीव चंद्रशेखर के सवालों पर प्रसाद ने कहा, ‘‘ट्राई की सिफारिशों का मामला दूरसंचार मंत्रालय के तहत आता है. लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि कुछ सिफारिशें डेटा निजता के मुद्दे को लेकर हैं. मैंने अपने आईटी विभाग को निर्देशित किया है कि उन इनपुट को रिकॉर्ड पर ले. हमें श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए जो इन मुद्दों पर विस्तार से गौर कर रही है.’’ 

बीजेपी सदस्य महेश पोद्दार ने भूमि रिकॉर्डों के ऑनलाइन होने और जियो-टैगिंग के बारे में सवाल किया. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या राज्य सरकारों द्वारा इकट्ठा किए जा रहे डेटा की सुरक्षा के प्रावधान हैं. इस पर प्रसाद ने कहा, ‘‘उमंग ऐप से इसमें काफी मदद मिल रही है. इस ऐप को 60 लाख से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड किया है. यह इसलिए किया जा रहा है ताकि इंग्लैंड में बैठे आपके लोग भी देख सकते हैं कि उनकी जमीन का रिकॉर्ड सही है कि नहीं. दाखिल खारिज ऑनलाइन तरीके से हो रही है.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘संसद से जब डेटा सुरक्षा कानून बनेगा तो निजी कंपनियों और राज्य सरकार द्वारा इकट्ठा किए जा रहे डेटा भी इसके दायरे में आएंगे.’

(इनपुट - भाषा)

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