लोकसभा ने इस बिल को 30 जुलाई को पास कर दिया था. इस बिल को उपभोक्ताओं को ज्यादा संरक्षित करने की वजह से लाया गया है.
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नई दिल्ली: लोकसभा से पास होने के बाद कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल को राज्यसभा में पेश किया गया. इस बिल में कई बदलाव किए गए हैं. लोकसभा ने इस बिल को 30 जुलाई को पास कर दिया था. इस बिल को उपभोक्ताओं को ज्यादा संरक्षित करने की वजह से लाया गया है. लोकसभा में इस बिल को पेश करते हुए फूड मिनिस्टर रामविलास पासवान ने बताया था कि उपभोक्ता संरक्षण बिल 1986 की जगह लेने वाले विधेयक कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल 2018 (Consumer Protection Bill 2018) में CCPA (Central Consumer Protection Authority) को राष्ट्रीय स्तर के रेगुलेटर के रूप में स्थापित करने के लिए कुल 109 सेक्शन हैं.
यह बिल के लागू होने के बाद अगर कोई उपभोक्ता शॉपिंग में ठगी का शिकार हुए है तो कंपनी के खिलाफ कोर्ट जा सकता है. अगर कंज्यूमर राइट्स को चुनौती दी जाती है, गलत ट्रेड प्रैक्टिस की जाती है तो CCPA इस मामले में सुनवाई करेगा. अथॉरिटी के पास अधिकार होगा कि वह दोषी पाये जाने पर मैन्युफैक्चरर्स पर 10 लाख रुपये का जुर्माना और दो साल तक की सजा का फैसला दे सकता है.
1. कंज्यूमर प्रोटेक्शन से जुड़े सभी मामलों की जांच का अधिकार CCPA के पास होगा. वह मामले की जांच भी करेगा और जरूरी आदेश भी पारित करेगा.
2. CCPA के अलग-अलग लेवल पर जांच का अधिकार बंटा हुआ है. जिला कमीशन 1 करोड़ तक के मामले को सुनेगा, स्टेट कमीशन 1 करोड़ से 10 करोड़ तक के विवाद को सुन सकता है. अगर विवाद की राशि 10 करोड़ से ज्यादा है तो नेशनल कमीशन मामले की जांच करेगा.
3. अगर किसी प्रोडक्ट से कंज्यूमर को किसी तरह का नुकसान पहुंचता है तो मैन्युफैक्चरर और प्रोडक्ट सर्विस प्रोवाइडर को इसका जिम्मेदार माना जाएगा और जुर्माने का भुगतान भी उसे ही करना होगा.