लंबे समय से NPPA दवाओं पर ओवरचार्जिंग को न केवल रोकने की कोशिश कर रहा है, बल्कि बरसों से बकाये रकम की वसूली को लेकर भी जूझ रहा है.
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नई दिल्ली: दवा ओवरचार्जिंग से जुड़ा बकाया वसूलने को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय और रसायन मंत्रालय के बीच मतभेद पैदा हो गया है. रसायन मंत्रालय के तहत दवा कीमतों के रेगुलेटर NPPA (National Pharma Pricing Authority) का सुझाव था कि ओवरचार्जिंग की रकम न भरने वाली दवा कंपनियों का लाइसेंस रद्द हो. NPPA ने ये प्रस्ताव स्वास्थ्य मंत्रालय की अहम समिति DTAB को दिया था. दरअसल लंबे समय से NPPA दवाओं पर ओवरचार्जिंग को न केवल रोकने की कोशिश कर रहा है, बल्कि बरसों से बकाये रकम की वसूली को लेकर भी जूझ रहा है.
DTAB ने NPPA के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. दलील दी कि मौजूदा कानून ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक्स एक्ट और ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक रूल्स में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत कीमतों से जुड़े विवाद को लेकर किसी दवा कंपनी का लाइसेंस रद्द किया जाए. दरअसल दिसंबर तक NPPA के पास ओवरचार्जिंग की करीब 1960 शिकायतें आईं थीं. जिन शिकायतों के आधार पर 6246 करोड़ रुपए की रकम वसूली जानी थी. लेकिन, दवा कंपनियों से दिसंबर तक महज 868 करोड़ रुपए की ही वसूली हो पाई है. करीब 5380 करोड़ रुपए की वसूली होनी बाकी है. कंपनियों ने ज्यादातर मामलों को कानूनी तौर पर चुनौती दे रखी है.