आर्थिक मामलों के सचिव गर्ग बोले, 'सरकार का राजकोषीय हिसाब-किताब ठीक चल रहा है'
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आर्थिक मामलों के सचिव गर्ग बोले, 'सरकार का राजकोषीय हिसाब-किताब ठीक चल रहा है'

वित्त मंत्रालय में आर्थिक विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि 'केवल रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी की व्यवस्था तय करने के एक प्रस्ताव चर्चा जारी है.' 

आरबीआई और सरकार के बीच कई मुद्दों पर तनातनी चल रही है.

नई दिल्ली: सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक से 3.6 लाख करोड़ रुपये की पूंजी चाहिए, इस तरह की खबरें मीडिया में पिछले दिन से छाई हुई थीं. अब इस मसले पर सरकाई ने सफाई दी है. सरकार का कहना है कि वह आरबीआई से 
कोई मांग नहीं कर रही है बल्कि वह केवल केंद्रीय बैंक की आर्थिक पूंजी व्यवस्था तय करने के बारे में चर्चा कर रही है. 

वित्त मंत्रालय में आर्थिक विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने ट्वीट में कहा, "मीडिया में गलत जानकारी वाली तमाम अटकलबाजियां जारी हैं. सरकार का राजकोषीय हिसाब-किताब बिल्कुल सही चल रहा है. अटकलबाजियों के विपरीत सरकार का आरबीआई से 3.6 या एक लाख करोड़ रुपये मांगने का कोई प्रस्ताव नहीं है." गर्ग ने कहा कि इस समय, 'केवल एक प्रस्ताव पर ही चर्चा चल रही है और वह रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी की व्यवस्था तय करने की चर्चा है."   

आर्थिक मामलों के सचिव ने विश्वास जताया कि सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 3.3 प्रतिशत तक सीमित रखने के बजट में तय लक्ष्य के भीतर बनाए रखने में कामयाब होगी. गर्ग ने कहा कि सरकार का राजकोषीय हिसाब-किताब ठीक चल रहा है.

उन्होंने कहा, "वर्ष 2013-14 में सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 प्रतिशत के बराबर था. उसके बाद से सरकार इसमें लगातार कमी करती आ रही है. हम वित्त वर्ष 2018-19 के अंत में राजकोषय घाटे को 3.3 तक सीमित कर देंगे." उन्होंने राजकोषीय लक्ष्यों को लेकर अटकलों को खारिज करते हुए कहा, "सरकार ने दरअसल बजट में इस साल बाजार से कर्ज जुटाने का जो अनुमान रखा था उसमें 70000 करोड़ रुपय की कमी स्वयं ही कम कर दी है." 

RBI के केंद्रीय बोर्ड की बैठक 19 नवंबर को
भारतीय रिजर्व बैंक केंद्रीय बोर्ड की बैठक 19 नवंबर को प्रस्तावित है. आरबीआई और सरकार के बीच कई मुद्दों पर तनातनी चल रही है. आरबीआई कानून की धारा 7 के तहत सरकार चाहती है कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल तीन चिंताओं को दूर करे. ये चिंताएं अधिशेष कोष, कर्ज और वृद्धि को गति देने के लिये एनपीए नियमों में ढील तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के समक्ष नकदी संकट को दूर करने से जुड़ी हैं. 

गौरतलब है कि गत 23 अक्टूबर को मुंबई में हुई पिछली बोर्ड बैठक ने वित्त मंत्रालय और आरबीआई के आपसी मतभेदों को खुलकर सार्वजनिक कर दिया था. बाद में विवाद आगे बढ़ा तो वित्त मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता 'एक महत्वपूर्ण और शासन चलाने के लिए स्वीकार्य जरूरत' है. मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि सरकार और आरबीआई दोनों को सार्वजनिक हित और भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों के हिसाब से काम करना है. 

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