DGCA Latest Rule: डीजीसीए ने अब हवाई सफर के नियमों में बड़ा बदलाव किया है. अब दिव्यांग पैसेंजर फ्लाइट में बैठने के लिए फिट है या नहीं, यह एयरलाइन कंपनियां नहीं तय करेंगी बल्कि डॉक्टर तय करेंगे. अगर डॉक्टर टेस्ट में कोई उचित कारण बताते हैं, तभी उस इंसान को फ्लाइट में चढ़ने से मना किया जाएगा.


DGCA ने दी जानकारी


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देश में एयरलाइन कंपनियों की शीर्ष नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने अपने आदेश में कहा है, 'एयरलाइन विकलांगता के आधार पर किसी भी पैसेंजर को उड़ान भरने देने से मना नहीं करेगी. अगर किसी एयरलाइन को लगता है कि पैसेंजर का स्वास्थ्य उड़ान के दौरान खराब हो सकता है, तो उक्त पैसेंजर की जांच एक डॉक्टर से करानी होगी. इसके बाद डॉक्टर स्पष्ट रूप से पैसेंजर की चिकित्सा स्थिति के बारे में जानकारी देंगे. डॉक्टर ये बताएंगे कि यात्री उड़ान भरने के लिए फिट है या नहीं. डॉक्टर की सलाह के बाद ही एयरलाइन कंपनियां फैसला ले सकती हैं.'


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क्यों लिया गया फैसला?


गौरतलब है कि यह कदम रांची एयरपोर्ट की उस घटना के बाद आया है जहां इंडिगो ने एक दिव्यांग बच्चे को विमान में चढ़ने से मना कर दिया था, जिसके बाद इस घटना का विरोध हुआ था. इंडिगो की इस हरकत पर सख्ती दिखाते हुए DGCA ने 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.


इंडिगो ने अपनी सफाई में कहा था कि यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए, एक दिव्यांग बच्चे को सात मई को रांची-हैदराबाद उड़ान में सवार होने की अनुमति नहीं दी गई थी. दरअसल वह बच्चा बहुत क्योंकि वह घबराया हुआ नजर आ रहा था. इसके बाद इंडिगो पर सख्ती दिखाते हुए DGCA ने 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा था कि इंडिगो के कर्मचारियों का व्यवहार गलत था और इससे स्थिति बिगड़ गई.


क्या था मामला?


गौरतलब है कि 7 मई को एक विकलांग बच्चे को एयरलाइन के ग्राउंड स्टाफ ने बोर्डिंग से रोक दिया था, इसके बाद वहां काफी आक्रोश भड़का था. इस घटना की चारों ओर आलोचना हो रही थी जिसके बाद नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने इस पर संज्ञान लेते हुए इसकी जांच शुरू की थी. जांच के दौरान रांची-हैदराबाद फ्लाइट की यात्री मनीषा गुप्ता ने उस बच्चे और उसके माता-पिता को ग्राउंड स्टाफ के कारण हुई परेशानी का वृतांत लोगों के सामने रखा, तब जाकर इस घटना की सच्चाई सामने आई.