Edible Oil Price: खाने का तेल अब नहीं होगा और महंगा! जानिए सरकार का नया प्लान
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Edible Oil Price: खाने का तेल अब नहीं होगा और महंगा! जानिए सरकार का नया प्लान

Edible Oil Price: कच्चे खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार इसके आयात शुल्क में पहले से ही कटौती कर रही है. अब सरकार इस कटौती की दर को और बढ़ा सकती है. सरकार आयात पर लगने वाले 2 अन्य उपकरों में कटौती की तैयारी कर रही है.

Edible Oil Price Hike

Edible Oil Price Hike: बढ़त महंगाई ने आम लोगों की जेब ढीली कर रखी है. खाद्य तेल की कीमतें भी लगातार बढ़ रही है. हालांकि, सरकार इस पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि कच्चे खाद्य तेल के आयात पर लगने वाले शुल्क में सरकार और कटौती कर सकती है.

सरकार कर रही है तैयारी

दरअसल, खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों ने किचन का जायका खराब कर दिया है. अब सरकार इस बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करने के लिए नई योजना बना रही है. मनीकंट्रोल में छपी खबर के अनुसार, मामले के एक्स्पर्ट्स की मानें तो सरकार आयात पर लगने वाले 2 अन्य उपकरों में कटौती की तैयारी कर रही है. इसके अलावा सरकार वर्तमान शुल्क कटौती को सितंबर से आगे भी बढ़ा सकती है. 

कच्चे खाद्य तेल पर कितना है आयात शुल्क

गौरतलब है कि इस समय देश में कच्चे खाद्य तेल के आयात पर 5.5 फीसदी शुल्क है जो कि पहले के 8.25 फीसदी लगता था. फिलहाल खाद्य तेल के लिए टैक्स सिस्टम 2 उपकरों पर आधारित है. पहला, एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (AIDC) और दूसरा - सोशल वेलफेयर सेस. आपको बता दें कि फरवरी में सरकार ने एआईडीसी को 7.5 फीसदी से कम कर 5 फीसदी कर दिया था. इसके बाद, कच्चे खाद्य तेल का आयात पर कुल शुल्क घटकर 5.5 फीसदी हो गया.

आगे भी जारी रहेगी कटौती 

इस मामले पर सीबीडीटी व कस्टम के अधिकारियों का कहना है कि सरकार की तरफ से की जा रही यह कटौती आगे भी जारी रह सकती है. दरअसल, खाद्य तेल के उत्पादन की समस्या भारत के स्तर पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर है, इसलिए लगातार बढ़ने वाली कीमत को कंट्रोल करने के लिए सरकार के पास कोई और विकल्प भी नहीं है.

एक अधिकारी ने बताया, 'कटौती जारी रखने से मध्य और दीर्घावधि में घरेलू बाजार पर खासा असर पड़ेगा लेकिन इसके आलावा फिलहाल कोई विकल्प नहीं है. सरकार भी इस बात को लेकर चिंतित है कि लगातार आयात को बढ़ावा देने से आखिर में घरेलू रिफाइनिंग उद्योग और तेल उत्पादकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. ऐसे में सरकार अपनी तरफ से निश्चित ही कोई बड़ा कदम उठा सकती है. 

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