PF Scheme: ईपीएफओ (Employees' Provident Fund Organisation) के हाल के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पात्र कर्मचारी जिन्होंने पहले ईपीएस के तहत हाई पेंशन कॉन्ट्रीब्यूशन का विकल्प नहीं चुना था, अब वो ऐसा कर सकते हैं. हालांकि, कुछ कारण ऐसे भी हैं, जिससे आप हाई पेंशन अंशदान का विकल्प चुनने से बचना चाहेंगे. आइए जानते हैं इसके बारे में...


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पेंशन योजना
उच्च पेंशन का विकल्प चुनने की सबसे बड़ी कमी यह है कि आपके ईपीएफ कोष का एक हिस्सा ज्वाइनिंग की तारीख से ईपीएस योजना में फिर से आवंटित किया जाएगा ताकि अधिक पेंशन मिल सके. EPF के पैसे को EPS में ट्रांसफर करने से आपको EPF सदस्य होने के कारण वर्षों से अर्जित किए गए कंपाउंडिंग का लाभ कम हो जाएगा. इसलिए, उच्च पेंशन विकल्प के लिए जाने से पहले आपको उचित आंकलन करना चाहिए.


एकमुश्त भुगतान
- पीएफ खाते का सारा पैसा आपका है. यदि आपकी मृत्यु हो जाती है, तो पूरी राशि आपके नॉमिनी/कानूनी उत्तराधिकारियों को दे दी जाती है. लेकिन ईपीएस के तहत मृत्यु होने पर जीवनसाथी को पेंशन का 50 फीसदी ही मिलेगा. ईपीएस में कोई एकमुश्त भुगतान नहीं होता है. इसलिए आपको उच्च पेंशन के लिए जाने से पहले अपनी जीवन प्रत्याशा पर विचार करना चाहिए.


ईपीएस
ईपीएस कोई एकमुश्त भुगतान प्रदान नहीं करता है. यह आपको आपके संचित कोष के आधार पर पेंशन देता है. ईपीएस के तहत उच्च पेंशन का विकल्प चुनने की बजाय, आप एनपीएस जैसे अन्य सरकार समर्थित विकल्पों पर विचार कर सकते हैं जो बाजार से जुड़े रिटर्न और सेवानिवृत्ति पर वार्षिकी खरीदने के लिए एकमुश्त राशि प्रदान करेगा. इसके अलावा एनपीएस योगदान धारा 80सी के तहत उपलब्ध 1.5 लाख रुपये की कटौती के ऊपर 50000 रुपये की अतिरिक्त कटौती भी प्रदान करता है.


अर्जित ब्याज
ईपीएस योजना में लचीलेपन का अभाव है. इसके अलावा ईपीएस राशि के जरिए अर्जित ब्याज ईपीएफ के समान नहीं है, जो आमतौर पर अधिक होता है.


जल्दी रिटायरमेंट
जो लोग जल्दी रिटायरमेंट होने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ईपीएफओ की उच्च पेंशन का विकल्प चुनना अच्छा नहीं हो सकता है क्योंकि एक व्यक्ति 10 साल की सेवा और 58 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद ही ईपीएस के तहत पेंशन के लिए पात्र हो जाता है.


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