15 सितंबर तक बैंक तैयार कर लें लोन का रिजोल्यूशन प्लानः वित्त मंत्री
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15 सितंबर तक बैंक तैयार कर लें लोन का रिजोल्यूशन प्लानः वित्त मंत्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से कोविड-19 संकट से दबाव में आये कर्ज की पुनर्गठन योजना को 15 सितंबर तक शुरू करने को कहा है.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से कोविड-19 संकट से दबाव में आये कर्ज की पुनर्गठन योजना को 15 सितंबर तक शुरू करने को कहा है. साथ ही उन्होंने कर्ज भुगतान के लिये दी गई मोहलत समाप्त होने के बाद कर्जदारों को पूरा समर्थन उपलब्ध कराने को कहा है.

  1. साख के आकलन पर असर नहीं पड़ना चाहिए
  2. छह महीने के लिये दी गई मोहलत 31 अगस्त को समाप्त
  3. आरबीआई ने छह अगस्त को अधिसूचना जारी की

तत्काल पेश करें नीति

मंत्री ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये बैंकों और एनबीएफसी प्रमुखों के साथ हुई बैठक में कर्ज समाधान को लेकर तत्काल नीति पेश करने, पात्र कर्जदारों की पहचान करने और उन तक पहुंचने पर जोर दिया. बैठक के दौरान मंत्री ने बैंकों से कहा कि कर्ज लौटाने को लेकर दी गई मोहलत समाप्त होने के साथ कर्जदारों की पूरी मदद की जानी चाहिए और कोविड- 19 संकट का कर्जदाताओं का उनके साख के आकलन पर असर नहीं पड़ना चाहिए.

कर्ज की किस्त लौटाने को लेकर छह महीने के लिये दी गई मोहलत 31 अगस्त के समाप्त हो गई थी. तीन घंटे चली बैठक में वित्त मंत्री ने बैंकों से पटरी पर लाये जा सकने वाली सभी व्यावहारिक इकाइयों के पुनरूद्धार के लिये कर्ज समाधान को लेकर तत्काल नीति पेश करने, पात्र कर्जदारों की पहचान करने और उन तक पहुंचने पर जोर दिया.

बैंक आरबीआई के नियम और पात्रता के अनुरूप निदेशक मंडल से कर्ज पुनर्गठन व्यवस्था की मंजूरी लेने की प्रक्रिया में है. आरबीआई ने छह अगस्त को अधिसूचना जारी कर इस बारे में नियम और पात्रता मानदंड तय किये थे. सीतारमण ने इस बात पर भी जोर दिया कि समाधान योजना 15 सितंबर 2020 तक जारी कर दी जानी चाहिए और उसके बारे में व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए.

बैठक में बैंकों और एनबीएफसी प्रमुखों ने आश्वस्त किया, ‘‘वे समाधान नीति को लेकर तैयार हैं और पात्र कर्जदारों की पहचान और उन तक पहुंच को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. वे रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित समयसीमा का अनुपालन करेंगे. ’’

वित्त मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिये रिजर्व बैंक के साथ मिलकर काम कर रहा है कि समाधान प्रक्रिया में आरबीआई से बैंकों को हर संभव मदद मिल सके. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने कहा था कि वह कंपनियों और खुदरा कर्जदारों को राहत देने के लिये कर्ज को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में डाले बिना एक बारगी पुनर्गठन की अनुमति दे रहा है.

पुनर्गठन लाभ वे लोग ले सकते हैं जिनके कर्ज की किस्त एक मार्च तक आ रही थी और किस्त के भुगतान में 30 दिन से अधिक विलंब नहीं हुआ है. इसके अलावा रिजर्व बैंक द्वारा गठित के वी कामत समिति इस बारे में वित्तीय मानदंडों पर काम कर रही है. समिति की सिफारिशों को उसके गठन के 30 दिन के भीतर अधिसूचित किया जाना है. इसका मतलब है कि अधिसूचना छह सितंबर तक आ जानी चाहिए.

कर्ज पुनर्गठन के बारे में रिसर्जेन्ट इंडिया के प्रबंध निदेशक ज्योति प्रकाश गादिया ने कहा कि इससे कंपनियों को काफी लाभ होगा. उन्होंने कहा कि लेकिन बैंकों को पुनर्गठन के वित्त पोषण को लेकर पूंजी प्राप्त करनी होगी क्योंकि इस प्रकार के खातों के लिये 10 प्रतिशत का प्रावधान भी करना होगा.

श्रेई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस के चेयरमैन हेमंत कनोरिया ने कहा कि जिन इकाइयों के नकद प्रवाह कोविड-19 के कारण कारण प्रभावित हुए हैं, उनकी योजना को लेकर रुचि है. उन्होंने कहा कि वे कामत समिति की सिफारिशों और योजना लागू करने का इंतजार कर रहे हैं. बैठक में वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित आपात कर्ज सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस), आंशिक कर्ज गारंटी योजना (पीसीजीएस 2.0) समेत अन्य योजनाओं की भी समीक्षा की और बैंकों को कर्जदारों को त्योहारों से पहले जहां तक संभव हो ज्यादा-से-ज्यादा से राहत उपलब्ध कराने को कहा.

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