Budget 2019: अटकी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने लिए 10 हजार करोड़ की मांग
वित्त मंत्री को बजट के लिये दिये गये सुझाव में FPSE ने कहा है कि घर खरीदारों को प्राथमिक सुरक्षित कर्जदाता माना जाना चाहिये. FPSE को इससे पहले रेरा कानून बनाने के लिये संघर्ष करने वाले मंच के तौर पर जाना जाता रहा है.
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नई दिल्ली: सरकार को आगामी आम बजट में देशभर में अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिये दस हजार करोड़ रुपये का एक अलग कोष बनाना चाहिये ताकि ऐसी परियोजनाओं में संपत्ति बुक कराने वाले पांच लाख से अधिक लोगों को राहत पहुंचाई जा सके. घर खरीदारों के संगठन FPSE ने यह मांग की है. वित्त मंत्री को बजट के लिये दिये गये सुझाव में ‘फोरम फॉर पीपुल्स कलेक्टिव एफार्टस (FPSE) ने कहा है कि घर खरीदारों को प्राथमिक सुरक्षित कर्जदाता माना जाना चाहिये. FPSE को इससे पहले रेरा कानून बनाने के लिये संघर्ष करने वाले मंच के तौर पर जाना जाता रहा है.
खरीदारों की जीवन भर की कमाई फंसी हुई है
FPSE के अध्यक्ष अभय उपाध्याय ने वित्त मंत्री को भेजे सुझाव में कहा है, ‘‘आप जानते हैं कि पांच लाख से अधिक घर खरीदारों की जीवन भर कमाई विभिन्न रीयल एस्टेट परियोजनाओं में फंसी हुई है. इन परियोजनाओं में बिल्डरों ने प्राप्त धन को अन्यत्र इस्तेमाल किया जिसकी वजह से अनिश्चितकालीन देरी हो रही है.’’ उन्होंने कहा कि बजट में यदि इस तरह की आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिये अलग कोष रखा जाता है तो घर खरीदारों को सुकून और काफी राहत पहुंचेगी.
RERA की वजह से कई योजनाएं बीच में अटक गई हैं
वित्त मंत्री के नाम ज्ञापन में कहा गया है कि रीयल्टी क्षेत्र के लिये रेरा कानून बनने के बावजूद कई परियोजनाओं पर काम देरी से चल रहा है और यह समय पर पूरी नहीं हो रही हैं. अब समय आ गया है जब सरकार को देश भर में ऐसी लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिये बजट में दस हजार करोड़ रुपये का एक अलग कोष बनाने की आवश्यकता है.
रियल स्टेट में विकास की गति तेज करने की मांग
इस कोष को बनाने का मकसद अगले पांच साल के दौरान देशभर में अटकी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करना होना चाहिये. एफपीसीई ने कहा है कि सरकार के इस कदम से रीयल एस्टेट क्षेत्र में स्थिति साफ होगी, विकास कार्य तेज होंगे, क्षेत्र में लोगों का विश्वास बढ़ेगा और रेरा के मजबूती के साथ क्रियान्वयन से आगे इस तरह परियेाजनाओं के लंबित होने की गुंजाइश नहीं होगी. मंच का कहना है कि परियोजनाओं में देरी रीयल एस्टेट क्षेत्र की वृद्धि के आड़े आने वाली सबसे बड़ी समस्या है.