Christmas से पहले आया 1800 परिवारों पर संकट, बंद होगा भारत में जनरल मोटर्स का प्लांट
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Christmas से पहले आया 1800 परिवारों पर संकट, बंद होगा भारत में जनरल मोटर्स का प्लांट

जनरल मोटर्स (जीएम) अपने महाराष्ट्र स्थित कारखाने को चीन की सबसे बड़ी एसयूवी बनाने वाली कंपनी ग्रेट वॉल मोटर्स को 2,000 करोड़ रुपये में बेचना चाहती थी, लेकिन भारत ने इस सौदे को मंजूरी नहीं दी है.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः क्रिसमस से पहले भारत में स्थित एक और बहुराष्ट्रीय कंपनी अपने प्लांट को बंद करने जा रही है. कंपनी के इस कदम से 1800 परिवारों पर असर पड़ेगा. भारत और चीन में चल रहे तनाव की वजह से ऑटोमोबाइल कंपनी जनरल मोटर्स (General Motors) भारत में अपना आखिरी प्लांट बंद कर देगी. General Motors महाराष्ट्र स्थित अपने आखिरी प्लांट को चीन की सबसे बड़ी एसयूवी (SUV) बनाने वाली कंपनी ग्रेट वॉल मोटर्स (Great Wall Motors) को बेचना चाहती है.

  1.  इस कदम से 1800 परिवारों पर असर
  2. 1996 में भारत में ऑपरेशन शुरू किया था
  3. पड़ोसी देशों से निवेश के लिए सख्त नियम
  4.  

महाराष्ट्र के तालेगांव में है प्लांट
ये प्लांट महाराष्ट्र के तालेगांव में है. कंपनी ने 1996 में भारत में ऑपरेशन शुरू किया था. इस सौदे के पूरा होते ही जनरल मोटर्स का भारत में ऑपरेशन पूरी तरह से बंद हो जाएगा. 2017 में जनरल मोटर्स ने गुजरात के हलोल में स्थित दूसरे प्लांट को चीन की SAIC को बेच चुकी है. फिलहाल, इस प्लांट को एमजी मोटर्स (MG Motors) इस्तेमाल कर रही है. तालेगांव प्लांट में 1800 वेतनभोगी और घंटों के अनुसार काम करने वाले कर्मचारी कार्यरत हैं.

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ग्रेट वॉल मोटर्स करने जा रही थी 7,300 करोड़ रुपये का निवेश
चीन की ग्रेट वॉल मोटर्स भारत में 7,300 करोड़ रुपये यानी 1 अरब डॉलर के निवेश करने जा रही थी. कंपनी की योजना अपने प्रमुख SUV ब्रांड Haval और इलेक्ट्रिक व्हीकल भारत में लाने की थी. भारत में इस निवेश से करीब 3,000 लोगों को सीधे रोजगार मिलना था.

अब सरकार ने बना दिए हैं सख्त नियम
हालांकि अप्रैल में, भारत ने चीन और अन्य पड़ोसी देशों से निवेश के लिए सख्त नियम बनाए थे और जून में, लद्दाख में 20 भारतीय सैनिकों की हत्या के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि यह जीएम-ग्रेट वॉल और दो अन्य सौदों (5,000 करोड़ रुपये की कीमत) को रोक लगा रही है. दोनों देशों के बीच बढ़ती शत्रुता के बीच, सरकार ने पड़ोसी देशों से सभी निवेश निर्णयों की जांच करने का फैसला किया था, जिसका उद्देश्य चीन से आने वाले निवेश को रोकना था. तालेगांव संयंत्र का उपयोग कारों को निर्यात करने के लिए किया जा रहा था.

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