'यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत में सरकार तेजी लाए'
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'यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत में सरकार तेजी लाए'

अभी जिन देशों को तरजीही शुल्क का लाभ मिल रहा है उनमें पाकिस्तान बंगलादेश, तुर्की और वियतनाम शामिल हैं.

2016-17 में भारत में सूती कपड़े का निर्यात 2.36% घटकर 10.70 अरब डॉलर रहा. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सूती कपड़ा निर्यात संवर्द्धन परिषद (टीईएक्सप्रोसिल) ने सरकार से यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर बातचीत में तेजी लाने को कहा है. परिषद का कहना है कि निर्यातकों को उन देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिनकी यूरोपीय संघ के साथ तरजीही शुल्क व्यवस्था है. यहां जारी एक बयान के अनुसार टीईएक्सप्रोसिल के चेयरमैन उज्ज्वल लाहोटी ने परिषद की 63वें सालाना आम बैठक में यह बात कही. उन्होंने अर्नस्ट एण्ड यंग के अध्ययन का हवाला देते हुये कहा कि यूरोपीय संघ के साथ साथ, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के साथ भी एफटीए होते हैं तो 55 लाख रोजगार सृजित किये जा सकते हैं.

अभी जिन देशों को तरजीही शुल्क का लाभ मिल रहा है उनमें पाकिस्तान बंगलादेश, तुर्की और वियतनाम शामिल हैं. लाहोटी ने जीएसटी के संदर्भ में कहा कि कुछ मसले हैं, जिसे सरकार द्वारा प्राथमिकता के आधार पर सुलझाये जाने की जरूरत है. उन्होंने इस संदर्भ में निर्यात पर माल एवं सेवा कर की वापसी में देरी भी शामिल है.

वित्त वर्ष 2016-17 में भारत में सूती कपड़े का निर्यात 2.36 प्रतिशत घटकर 10.70 अरब डॉलर रहा जो पिछले वर्ष 10.86 अरब डॉलर था. इस दौरान सूती धागे का निर्यात मूल्य 7.20 प्रतिशत और सूती कपड़े के निर्यात मूल्य में 4.65 प्रतिशत कमी आई. केवल सूती मेड-अप्स का निर्यात 1.92 प्रतिशत बढ़ा है. 

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