IDBI Bank Divestment: सरकार ने IDBI Bank में अपनी हिस्सेदारी घटाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. सरकार ने IDBI बैंक में स्ट्रैटिजिक बिक्री में सहायता के लिए मर्चेंट बैंकरों, लीगल फर्म्स, ट्रांजैक्शन एडवाइजर्स से बोलियां मंगवाई हैं.
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नई दिल्ली: IDBI Bank Divestment: सरकार ने IDBI Bank में अपनी हिस्सेदारी घटाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. सरकार ने IDBI बैंक में स्ट्रैटिजिक बिक्री में सहायता के लिए मर्चेंट बैंकरों, लीगल फर्म्स, ट्रांजैक्शन एडवाइजर्स से बोलियां मंगवाई हैं. कंपनियां 13 जुलाी तक इसके लिए आवेदन कर सकती हैं.
कैबिनेट ने मई में मैनेजमेंट ट्रांसफर के साथ ही IDBI बैंक में रणनीतिक विनिवेश के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी थी. केंद्र सरकार और LIC के पास IDBI बैंक बैंक की 94 परसेंट से ज्यादा इक्विटी है. LIC के पास बैंक की 49.24 परसेंट हिस्सेदारी है और इसका मैनेजमेंट कंट्रोल भी है. जबकि सरकार की हिस्सेदारी 45.48 परसेंट और नॉन प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 5.29 परसेंट है.
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DIPAM के मुताबिक ट्रांजैक्शन एडवाइजर और लीगल एडवाइजर्स के लिए बोली जमा करने की अंतिम तारीख 13 जुलाई है. हालांकि ये सरकार ने जो रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी किया है उसमें कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि IDBI बैंक में सरकार कितना हिस्सा बेचेगी. आमतौर पर ऐसा नहीं होता है. सरकार ये पहले से बताती है कि वो कितना हिस्सा बेचेगी.
हालांकि सरकार ने पहले बताया था कि IDBI बैंक में कितना हिस्सा केंद्र सरकार और LIC की ओर से बेचा जाएगा, इसका फैसला RBI के साथ चर्चा के बाद ही किया जाएगा. LIC ने जनवरी 2019 में IDBI बैंक में कंट्रोलिंग हिस्सेदारी ली थी. आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के अपने बजट में कहा था कि IDBI बैंक के प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया चालू वित्त वर्ष में पूरी हो जाएगी.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में माइनॉरिटी हिस्सेदारी बेचकर और प्राइवेटाइजेशन के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. 1.75 लाख करोड़ रुपये में से 1 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने से और 75,000 करोड़ रुपये CPSE विनिवेश से होना है.
आपको बता दें कि सरकार की हिस्सेदारी होने के बावजूद IDBI बैंक (Industrial Development Bank of India) एक निजी बैंक, RBI ने इस निजी बैंक की कैटेगरी में रखा है. ये पैसों के लिए सरकार पर निर्भर है. अब सरकार बैंक से अपनी हिस्सेदारी घटाकर पैसों की सप्लाई रोकना चाहती है और इसका मैनेजमेंट बदलना चाहती है. इस समय LIC इसकी प्रमोटर है और सरकार को-प्रमोटर है.
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