GST : जुलाई में टैक्‍स कलेक्‍शन में जबर्दस्‍त बढ़ोतरी, इतने हजार करोड़ बढ़ा रेवेन्‍यू
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GST : जुलाई में टैक्‍स कलेक्‍शन में जबर्दस्‍त बढ़ोतरी, इतने हजार करोड़ बढ़ा रेवेन्‍यू

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत जुलाई माह में कर संग्रह बढ़कर 96,483 करोड़ रुपए हो गया है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली : माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत जुलाई माह में कर संग्रह बढ़कर 96,483 करोड़ रुपए हो गया है. जून में जीएसटी वसूली 95,610 करोड़ रुपए रही थी. वित्त मंत्रालय के यहां जारी वक्तव्य के अनुसार जुलाई माह में कुल मिलाकर 66 लाख बिक्री रिटर्न जीएसटीआर 3बी दाखिल किए गए जबकि इससे पिछले महीने जून में 64.69 लाख जीएसटीआर 3बी दाखिल किए गए थे. वक्तव्य के अनुसार जुलाई में कुल जीएसटी राजस्व प्राप्ति 96,483 करोड़ रुपए रही. कुल प्राप्ति में केन्द्रीय जीएसटी 15,877 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी के तहत 22,293 करोड़ रुपये, एकीकृत जीएसटी में 49,951 करोड़ रुपए और उपकर में 8,362 करोड़ रुपए प्राप्त हुए. उपकर में 794 करोड़ रुपए आयात पर जुटाए गए. 

88 वस्तुओं पर जीएसटी दरें कम की गईं
फैसले के अनुसार, ‘‘यह (राजस्व प्राप्त) मोटे तौर पर उम्मीद के अनुरूप रही है.’’ वक्तव्य में कहा गया है कि इसके साथ ही अप्रैल से मई 2018 अवधि के लिये 3,899 करोड़ रुपये राज्यों को राजस्व क्षतिपूर्ति के तौर पर जारी किए गए. जीएसटी परिषद ने हाल ही में अपनी बैठक में 88 वस्तुओं पर जीएसटी दरें कम की थी. जुलाई माह के जीएसटी संग्रह के आंकड़ों में इस कटौती का प्रभाव शामिल नहीं है.

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वाशिंग मशीन, मिक्सर ग्राइंडर, फ्रिज पर घटी जीएसटी दर
परिषद ने कई टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं जैसे वाशिंग मशीन, मिक्सर ग्राइंडर, फ्रिज, 1,000 रुपये तक के जूतों, रंग रोगन और सेनटरी नेपकिंस सहित कई वस्तुओं पर जीएसटी दर में कटौती की घोषणा की है. यह कटौती 27 जुलाईसे प्रभाव में आई है. बहरहाल, जुलाई के जीएसटी प्राप्ति आंकड़ों में तमाम वस्तुओं पर की गई जीएसटी कटौती का प्रभाव अभी नहीं दिखाई दिया है.

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जीएसटी काउंसिल की कर छूट पर मूडीज ने उठाई थी उंगली
वित्तीय साख निर्धारक प्रतिष्ठित एजेंसी मूडीज की राय में विभिन्न वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में जुलाई में कटौती का सरकार का फैसला वित्तीय साख के प्रतिकूल है. एजेंसी ने अपनी ताजा रपट में कहा था कि इससे सरकार की राजस्व वसूली पर असर पड़ेगा और राजकोषीय घाटे को कम करने के प्रयासों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव की दृष्टि से यह वित्तीय साख के लिए ठीक नहीं है.

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