क्या आपने देखा है जीरो रुपये का नोट? जानें कब और क्यों छापे गए, दिलचस्प है कहानी
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क्या आपने देखा है जीरो रुपये का नोट? जानें कब और क्यों छापे गए, दिलचस्प है कहानी

Zero rupee note: साल 2007 में भारत में एक नोट जीरो (0) रुपये के नोट भी छपे थे. ये नोट हिंदी, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम भाषाओं में छापे गए थे. इस नोट की खासियत और छापने के पीछे का मकसद हम आपको बताने जा रहे हैं.

Zero Rupee Note

नई दिल्ली. Zero rupee note:  भारत में रिजर्व बैंक (RBI) 1 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक के नोट छापती है. लोग इन नोटों का इस्तेमाल करके रोजमर्रा की जरूरतों से लेकर बाकी सभी सुख सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में जीरो (0) रुपये के नोट भी छपे हैं? आज हम आपको जीरो रुपये वाले नोट की पूरी कहानी बताने जा रहे हैं. 

  1. साल 2007 में छपे थे जीरो रुपये के नोट
  2. नोट पर गांधी जी का फोटो भी था मौजूद
  3. घूस मांगने वालों को देते थे ये खास नोट

एक खास मुहिम के तहत छापा गया था नोट

आपको बता दें, जीरो रुपये वाले इस नोट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का फोटो भी छपा हुआ है और यह दिखने में बिल्कुल दूसरे नोटों की तरह ही लगता है. लेकिन आप सोच रहे होंगे कि जीरो रुपये का नोट क्यों शुरू किया गया. आखिर इस नोट से क्या खरीदा जा सकता है. आपको बता दें, ये नोट RBI ने जारी नहीं किया था. दरअसल, इसे करप्शन के खिलाफ एक मुहिम के तहत बनाया गया.

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5 लाख नोट छापे गए थे

करप्शन के खिलाफ इस नोट को एक हथियार के रूप में  एक संस्था ने शुरू किया था. ये आइडिया साल 2007 में दक्षिण भारत की एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NGO) का था. तमिलनाडु स्थित 5th Pillar नाम के इस एनजीओ ने करीब पांच लाख जीरो रुपये वाले नोटों को छापने का काम किया था. हिंदी, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम चार भाषाओं में ये नोट छापकर लोगों में बांट दिए गए थे.

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नोट पर करप्शन के खिलाफ लिखे थे कई मैसेज 

भ्रष्टाचार के खिलाफ बनाए गए इस नोट में कई मैसेज लिखे हुए थे, जिसमें 'भ्रष्टाचार खत्म करो', 'अगर कोई रिश्वत मांगे तो इस नोट को दें और मामले को हमें बताएं', 'ना लेने की ना देने की कसम खाते हैं' लिखे हुए थे. जीरो रुपये के इस नोट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का फोटो भी छपा हुआ है और नोट के नीचे बिल्कुल दाई तरफ संस्था का फोन नंबर और ईमेल आईडी छपा हुआ था.

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घूस मांगने वालों को देते थे ये खास नोट

‘5th पिलर’ नाम की संस्था ही Zero Rupee Note बनाती थी और घूस मांगने वालों को देती थी. ये नोट ही भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान का प्रतीक था. इस संस्था के तमिलनाडु के कई जिलों में सेंटर थे. इसका मुख्यालय चेन्नई में है. बेंगलुरु, हैदराबाद, दिल्ली और राजस्थान के पाली में भी इसके सेंटर हैं.

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