अगले महीने यानी सितंबर से देश में त्योहारी सीज़न की शुरुआत हो रही है और हर किसी का सपना होता है कि फेस्टिवल सीज़न में घर की ख़रीद की जाए. रियल एस्टेट सेक्टर जिस दौर से गुजर रहा है, ऐसे में ये संभावना जताई जा रही है कि बिल्डर्स बिक्री को बढ़ाने के लिए क़ीमतों में कमी कर सकते हैं. फंड की कमी को पूरा करने के लिए सरकार भी स्टैस फंड बनाने पर जुटी हुई है.
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नई दिल्ली : अगले महीने यानी सितंबर से देश में त्योहारी सीज़न की शुरुआत हो रही है और हर किसी का सपना होता है कि फेस्टिवल सीज़न में घर की ख़रीद की जाए. रियल एस्टेट सेक्टर जिस दौर से गुजर रहा है, ऐसे में ये संभावना जताई जा रही है कि बिल्डर्स बिक्री को बढ़ाने के लिए क़ीमतों में कमी कर सकते हैं. फंड की कमी को पूरा करने के लिए सरकार भी स्टैस फंड बनाने पर जुटी हुई है. अभी भी लाखों होम बायर्स पज़ेशन के लिए इंतजार कर रहे हैं. साल 2019 की पहली छमाही में भी उम्मीद के मुताबिक बिक्री नहीं बढ़ी है. ऐसे में कई सवाल ये उठ रहे हैं कि जिस तरह से बिक्री में कमी है और निवेशक भी मार्केट से दूरी बनाए हुए हैं, क्या आने वाले त्योहारी सीज़न में घरों के दाम कम होंगे.
बिना बिके मकान और हाउसिंग की कमी
रिसर्च फर्म एनॉरॉक प्रॉपर्टी के मुताबिक, देश के 7 बड़े शहरों में अभी भी बिना बिके मकानों की संख्या 6.65 लाख यूनिट है और ग्राहकों का इंतजार कर रही हैं. बिना बिके मकानों की संख्या ज्यादा होने की वजह से बिल्डर्स को दाम घटाने चाहिए. सरकार के अनुमान के मुताबिक, 2013 में अर्बन इलाकों में करीब 19 मिलियन हाउसिंग की कमी थी, जोकि फिलहाल कम होकर 10 मिलियन रह गई है. मौजूदा ट्रेंड की तरफ देखा जाए तो फिलहाल ज्यादातर बिल्डर्स अफोर्डेबल और मिड-रेंज सेगमेंट की तरफ ध्यान दे रहे हैं, बावजूद इसके बायर्स की तरफ से बहुत अधिक रिसपॉन्स नहीं मिला है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि शहरी इलाकों में जमीन के रेट्स काफी अधिक हैं और जो अफोर्डेबल सेगमेंट में लॉन्चिंग हुई है, वहां अभी तक इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है.
बिल्डर्स का नजरिया
एबीए कॉर्प और क्रेडाई वेस्टर्न यूपी के प्रेसीडेंट अमित मोदी का कहना है कि हर बिल्डर्स को उम्मीद होती है कि फेस्टिवल सीजन में बिक्री बढ़े. ये फेस्टिवल सीजन इसलिए खास है क्योंकि कीमतें अभी काफी कम हैं और आने वाले समय में डिमांड बढ़ सकती है. रियल एस्टेट में अभी भी मंदी का साया है लेकिन आने वाले समय में कीमतें गिरने के आसार काफी कम है. एक अच्छी लोकेशन, बेहतर क्वॉलिटी समय पर डिलीवरी देने वाले बिल्डर्स की डिमांड हमेशा बनी रहती है. रियल एस्टेट सेक्टर भले ही उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा हो लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए डिमांड हमेशा सबसे अधिक रहती है. फेस्टिवल सीजन में घर खरीदने का ये फायदा होता है कि ऑफर्स के जरिये बायर्स को अच्छे ऑप्शन मिल जाते हैं.
रियल एस्टेट सेक्टर में जान डालने की कोशिश
साया ग्रुप के विकास भसीन बताते हैं कि बेशक पिछले 3 साल रियल एस्टेट के लिए अच्छे नहीं रहे हैं लेकिन इस सेक्टर में जान डालने के लिए सरकार भी काफी गंभीर है. सरकार की मदद से काफी हद तक मुश्किलों का हल होने जा रहा है. ऐसे में आने वाले त्योहारी सीज़न में दाम घटने के आसार काफी कम है. रियल एस्टेट में फिलहाल का समय सबसे बढ़िया है, क्योंकि एक तो दाम काफी कम है और स्टेबिलिटी बनी हुई है साथ में बिल्डर्स ऑफर्स की भरमार करने वाले हैं और शायद बायर्स के लिए घर ख़रीदने का इससे बढ़िया मौका आने वाले समय में नहीं मिलेगा.
कितने बढ़े घरों के दाम
एनॉरॉक प्रॉपर्टी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 की पहली छमाही के मुकाबले 2019 की पहली छमाही में क़ीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली हैं. हालांकि, सिर्फ कोलकाता में घरों की कीमत में कमी आई है. NCR, MMR, पुणे में 1% की बढ़ोतरी दर्ज की गई जबकि हैदराबाद और बंगलुरू में 2% का इजाफा देखा गया.
क्या है एक्सपर्टस का नजरिया
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट आकाश बंसल का कहना है कि बेशक बिल्डर्स पर अभी काफी दबाव है लेकिन जितने क़ीमतें कम होनी थी, हो चुकी हैं. आने वाले त्योहारी सीज़न में दाम कम होने के आसार कम हैं. रियल एस्टेट सेक्टर की सबसे बड़ी ज़रुरत ये है कि बायर्स का विश्वास, जोकि अभी भी काफी कम है. डिलीवरी को लेकर अभी भी संशय बरकरार है. बिल्डर्स प्रोजेक्ट तो लॉन्च कर देते हैं, समय पर डिलीवरी नहीं हो पाती और इसी वजह से रियल एस्टेट सेक्टर के हालात खराब हैं.
तमाम ऑर्फस के बावजूद पिछले कई सालों से बिक्री उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी है. अब देखना काफी अहम होगा कि ये फेस्टिवल सीज़न बायर्स और बिल्डर्स के लिए कैसा रहेगा.