आप क्रेडिट कार्ड या फिर किसी लोन के लिए आवेदन करते हैं तो ऐसे में आपका सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर बहुत मायने रखता है. आपका सिबिल जितना अच्छा होगा, आपको लोन मिलने में उतनी ही आसानी होगी.
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नई दिल्ली : आप क्रेडिट कार्ड या फिर किसी लोन के लिए आवेदन करते हैं तो ऐसे में आपका सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर बहुत मायने रखता है. आपका सिबिल जितना अच्छा होगा, आपको लोन मिलने में उतनी ही आसानी होगी. लेकिन इस सबके बीच आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर क्रेडिट स्कोर कैसे तय होता है और कैसे यह आपके सिबिल को प्रभावित करता है. कुछ लोग यही मानते हैं कि अगर आप ईएमआई (EMI) या क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का भुगतान समय पर नहीं करते तो इससे क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ता है. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि लेट फीस के साथ अगर बाद में पेमेंट कर दिया, तो सब ठीक हो जाना चाहिए. लेकिन ऐसा होता नहीं है. लेट पेमेंट से आपको ब्याज और पेनाल्टी के रूप में ज्यादा पैसे तो देने ही पड़ते हैं. साथ ही आपका क्रेडिट स्कोर भी खराब हो जाता है. इसलिए हमेशा समय से ही पेमेंट करें.
ऐसे प्रभावित होता है सिबिल
अगर आप क्रेडिट कार्ड के पेमेंट को करने में लेट होते हैं, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. ज्यादातर बैंक 30 दिन तक के लेट पेमेंट की रिपोर्ट सिबिल (Cibil) को नहीं देते. यानी एक महीने तक लेट होने पर आपको ब्याज और पेनाल्टी तो देनी होगी, लेकिन आपका क्रेडिट स्कोर खराब नहीं होगा. लेकिन इससे अधिक देरी होने पर आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित होने लगेगा.
30 दिन से ज्यादा देरी पर क्या असर
अगर आप 30 से 60 दिन देरी से पेमेंट करते हैं तो इसकी रिपोर्ट सिबिल को भेज दी जाती है, लेकिन जैसे ही आप पेमेंट कर देते हैं, तो आपका क्रेडिट स्कोर ठीक हो जाता है. लेकिन अगर आप अक्सर पेमेंट करने में लेट हो जाते हैं, तो फिर आपके क्रेडिट स्कोर पर निगेटिव असर पड़ता है. पेमेंट में 90 दिन से अधिक लेट होने पर आपका क्रेडिट स्कोर 7 साल तक के लिए प्रभावित हो सकता है और आपको 'repeat offender' मानकर हायर रिस्क की कैटेगरी में डाल दिया जाएगा. वहीं यदि आप 120 दिन से अधिक डिफाल्ट करते हैं तो आपके कर्ज को 'charged off' मान लिया जाता है और थर्ड पार्टी कलेक्शन एजेंसी को वसूली के लिए भेज दिया जाता है. इसकी जानकारी सिबिल को भी दी जाती है और आपका क्रेडिट स्कोर और घट जाता है.
क्रेडिट कार्ड डिफाल्ट से ऐसे बचें
आपको अपने आमदनी और खर्च में सही अनुपात बनाकर रखना चाहिए. दूसरा यह कि यदि किसी महीने आपने ज्यादा खर्च कर दिया है और पूरे क्रेडिट कार्ड बिल का पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं, तो मिनिमम भुगतान जरूर कर दें. इससे आपको बकाया राशि पर ब्याज देना होगा, लेकिन आपको डिफाल्टर नहीं माना जाएगा. इसके अलावा आपके पास जैसे ही पैसा आए, जितना भी आए, उसे क्रेडिट कार्ड अकाउंट में डाल दें, महीने के अंत का इंतजार न करें.