Loan Fraud Case: चंदा कोचर की गिरफ्तारी ने देश भर में तहलका मचा दिया है. दरअसल, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शुक्रवार को आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को बैंक फ्रॉड (ICICI Bank Fraud Case) मामले में गिरफ्तार कर लिया है. पद्म भूषण सम्मान से सम्मनित चंदा कोचर (Chanda Kochhar) पर अपने पति को आर्थिक लाभ देने के आरोप लगे हैं. इस घोटाले में 3 लोगों का नाम जुड़ा है. आइये जानते हैं कैसे हुआ ये गबन?


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कौन हैं ये तिकड़ी?


अब जानते हैं कि कौन हैं ये तिकड़ी जिन्होंने इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया है. चंदा कोचर (Chanda Kochhar) ICICI बैंक की सीईओ और एमडी रहीं हैं और दीपक कोचर (Deepak Kochhar) उनके पति हैं, जिनकी इस घोटाले में मुख्य भूमिका है. अब बात करते हैं वेणुगोपाल धूत (Venugopal Dhoot) की जो वीडियोकॉन ग्रुप के मालिक हैं. आइये अब जानते हैं कैसे इन्होने इस पूरे गेम को प्लान किया.


चंदा पर क्या हैं आरोप 


गौरतलब है कि चंदा कोचर ने 26 अगस्त 2009 को वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स को 300 करोड़ रुपये और 31 अक्टूबर 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 750 करोड़ रुपये आईसीआईसीआई बैंक द्वारा देने की मंजूरी दी. यह फैसला बैंक के रेगुलेशन और पॉलिसी के अनुरूप नहीं था इसलिए साल 2020 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चंदा कोचर और उनके पति से करोड़ो रुपये के लोन और इससे जुड़े अन्य मामलों में पूछताछ की और इस मामले में CBI ने चंदा कोचर पर FIR दर्ज की थी. 


विस्तृत जांच का ऐलान 


मामले के तूल पकड़ने के बाद आईसीआईसीआई बैंक ने विस्तृत जांचा का ऐलान किया और इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएन श्रीकृष्णा को सौंपी गई. इसके बाद, जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट की जांच पूरी हुई और चंदा कोचर दोषी पाई गईं. इसके बाद, ED ने साल 2020 में चंदा कोचर, दीपक कोचर और उनकी कंपनियों से संबंधित 78 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली. इसके बाद यह केस बढ़ता गया. इसके बाद 4 अक्टूबर 2018 को ICICI बैंक की एमडी और सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था.


क्या है पूरी कहानी?


- 2009 में चंदा कोचर को ICICI बैंक की एमडी बनीं और इसी साल उन्होंने ने कमिटी हेड रहते हुए वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (VIEL) को 300 करोड़ रुपये का लोन को मंजूरी दी.
- ये मंजूरी बैंकिंग नियम के खिलाफ थी, जिसके चलते इस पर ED की निगाह पड़ी.
- आपको बता दें कि वीडियोकॉन ने नूपॉवर रिन्यूएबल लिमिटेड (NuPower Renewable Limited) में 64 करोड़ रुपये का निवेश जो वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनी सुप्रीम एनर्जी (Supreme Energy) से किया गया, जिसके 99 फीसदी से ज्यादा शेयर वेणुगोपाल धूत के पास थे. यहां से शुरू होती है इस घोटाले की कहानी.
- दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत ने मिलकर नूपॉवर रिन्यूएबल कंपनी शुरू की थी.
- इसके बाद, 2009 में वेणुगोपाल धूत ने नूपॉवर रिन्यूएबल के सारे शेयर दीपक कोचर के नाम कर दिए, और फिर चंदा कोचर की भूमिका इस कहानी में सामने आई.


सीबीआई की FIR में क्या लिखा है?


- सीबीआई की FIR के के अनुसार, चंदा कोचर ने इस पूरे मामले में अपने पद का गलत फायदा उठाते हुए गैर-कानूनी तरीके से वीडियोकॉन को लोन दिया.
- वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन से 64 करोड़ रुपये नूपॉवर रिन्यूएबल को दिए, जो नियम के खिलाफ था.
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, चंदा कोचर के एमडी और सीईओ रहते हुए ICICI बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया जो लोन बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, आरबीआई की गाइडलाइंस और बैंक की क्रेडिट पॉलिसी के खिलाफ था.