IMF's Gita Gopinath: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की पहली डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ने कहा है कि भारत में और अधिक लोगों के पास रोजगार हो, इसके लिए जरूरी है कि केवल कुछ क्षेत्रों को टारगेट करने के बजाय अलग-अलग क्षेत्रों को एक्सप्लोर किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि कम से कम भारत में नौकरियों के क्षेत्र में आर्टिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के कारण होने वाले किसी भी इंपेक्ट का कम प्रभाव पड़ेगा क्योंकि भारत का अधिकांश वर्कफोर्स कृषि क्षेत्र में है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 


उन्होंने कहा कि भारत पिछले कुछ सालों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. पिछले एक दशकों के दौरान भारत का ग्रोथ औसतन 6.6 प्रतिशत रही है. लेकिन भारत में ग्रोथ कैपिटल इंटेंसिव में हो रही है, लेकिन लोगों को नौकरियों उस अनुपात में नहीं मिल रही है.


रोजगार पैदा करने में G-20 देशों से पीछे भारत


गीता गोपीनाथ ने आगे कहा कि भारत रोजगार पैदा करने के मामले में जी-20 देशों में पिछड़ा हुआ है. जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए भारत में 2030 तक 14.8 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा करने की जरूरत है. 2010 से भारत की औसत वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रही, लेकिन रोजगार दर दो प्रतिशत से कम रही. यही वजह है कि भारत में रोजगार दर अन्य जी-20 देशों की तुलना में काफी कम है.


उन्होंने कहा कि यदि आप जनसंख्या वृद्धि के लिहाज से भारत के अनुमानों को देखें, तो भारत को अब से लेकर 2030 तक कुल मिलाकर छह करोड़ से 14.8 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा करनी होंगी. अभी 2024 है. हमें कम समय में बहुत सारी नौकरियां पैदा करनी होंगी.


लेबर लॉ में बुनियादी सुधार की जरूरत


गीता गोपीनाथ ने आगे कहा कि भारत में व्यापक स्तर पर नौकरी पैदा हो इसके लिए भूमि सुधार और श्रम संहिताओं को लागू करने सहित बुनियादी सुधारों की जरूरत होगी. अधिक नौकरियां पैदा करने के लिए निजी निवेश में वृद्धि की जरूरत है, क्योंकि यह जीडीपी वृद्धि के अनुरूप नहीं है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक निवेश अच्छा चल रहा है, लेकिन निजी निवेश में सुधार करना होगा. इसके अलावा भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करना चाहिए, ताकि लोग अपने काम का कौशल विकास कर सके.