मॉल्स को 2 महीने में 90 हजार करोड़ रुपये का नुकसान, एससीएआई ने मांगी राहत
Advertisement

मॉल्स को 2 महीने में 90 हजार करोड़ रुपये का नुकसान, एससीएआई ने मांगी राहत

शॉपिंग सेंटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एससीएआई) ने सोमवार को कहा कि पिछले दो महीनों में लॉकडाउन के कारण सेक्टर को 90,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. 

फाइल फोटो

नई दिल्लीः  शॉपिंग सेंटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एससीएआई) ने सोमवार को कहा कि पिछले दो महीनों में लॉकडाउन के कारण सेक्टर को 90,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. ऐसे में इस सेक्टर को रेपो रेट कटौती और आरबीआई द्वारा विस्तारित ऋण स्थगन से अधिक की जरूरत है. उद्योग मंडल ने एक बयान में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किए गए राहत उपाय उद्योग की लिक्विडिटी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. 

बड़े शहरों में ही नहीं है मॉल्स
एससीएआई के अनुसार, एक आम गलतफहमी है कि शॉपिंग सेंटर का उद्योग केवल बड़े डेवलपर्स, निजी इक्विटी खिलाड़ियों और विदेशी निवेशकों के निवेश के साथ महानगरों और बड़े शहरों के आसपास ही केंद्रित है. 550 से अधिक एकल स्टैंडअलोन डेवलपर्स के स्वामित्व वाले हैं, जो देश भर में 650-संगठित शॉपिंग सेंटरों से बाहर हैं और छोटे शहरों में ऐसे 1,000 से अधिक छोटे केंद्र हैं.

दांव पर लगा है आस्तित्व
एससीएआई के अध्यक्ष अमिताभ तनेजा ने कहा, "संगठित खुदरा उद्योग संकट में है और लॉकडाउन के बाद से कुछ भी कमाई नहीं हुई है. ऐसे में उनका अस्तित्व दांव पर लगा हुआ है, जबकि ऋण पुनर्भुगतान स्थगन का विस्तार कुछ राहत की बात करता है, लेकिन इससे कुछ खास मदद नहीं मिलेगी." उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार की दीर्घकालिक लाभकारी योजना की बहुत ज्यादा आवश्यकता है.

तनेजा ने कहा, "सबसे सुरक्षित, जवाबदेह और नियंत्रित वातावरण होने के बाद भी मॉलों को खोलने की अनुमति नहीं दी गई है, जिससे कई लोगों की नौकरी छूट जाएगी और बहुत सारे मॉल डेवलपर्स की दुकानें बंद हो सकती हैं."

बैंकों को लग सकती है 25 हजार करोड़ की चपत
केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक को दिए गए अपने आवेदन में, संघ ने यह भी बताया है कि आरबीआई से वित्तीय पैकेज और प्रोत्साहन के अभाव में 500 से अधिक शॉपिंग सेंटर्स दिवालिया हो सकते हैं, जिससे बैंकिंग उद्योग का 25,000 करोड़ रुपये एनपीए हो सकता है.

Trending news