India Economy Growth: कोविड महामारी और युद्ध ने दुनिया की ताकतवर अर्थव्यवस्थाओं को हिलाकर रख दिया. एक तरफ जहां दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास वार और हुतियों के विद्रोह से जूझ रही है तो वहीं दूसरी ओर भारत की अर्थव्यवस्था हुंकार भर रही है. भारत की इकोनॉमी तरक्की के नए अध्याय लिख रही है.
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India Vs China Economy: कोविड महामारी और युद्ध ने दुनिया की ताकतवर अर्थव्यवस्थाओं को हिलाकर रख दिया. एक तरफ जहां दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास वार और हुतियों के विद्रोह से जूझ रही है तो वहीं दूसरी ओर भारत की अर्थव्यवस्था हुंकार भर रही है. भारत की इकोनॉमी तरक्की के नए अध्याय लिख रही है. बीते दस सालों में भारत की इकोनॉमी ने जो दम भरा है, उसके दम पर वो विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगले पांच सालों में भारत की इकोनॉमी को तीसरे नंबर पर पहुंचाने का लक्ष्य तय कर लिया है. जैसे-जैसे भारत की ताकत बढ़ रही है, पड़ोसी देश चीन का दम फूलने लगा है. भारत कंपनियों और विदेशी निवेशकों के लिए चीन का विकल्प बन रहा है.
मोदी के राज में बढ़ी भारत की ताकत
दुनियाभर के फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का मानना है कि साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से भारत की तरक्की तेज रफ्तार से हो रही है. साल 2014 के बाद मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज दिया है. अब पीएम का दावा है कि वो साल 2025 तक भारत की इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचा दिया. जानकारों के मुताबिक भारत नए जमाने की तकनीक को अपना रहा है. देश में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा मिल रहा है. दुनिया की कई ग्लोबल एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि साल 2047 तक भारत दुनिया की विकसित इकोनॉमी बन जाएगा, लेकिन इन अनुमानों ने चीन की बेचैनी बड़ा दी है.
भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ पर विदेशी निवेशक भी फिदा
भारत में जिस रफ्तार से नए इंफ्रास्ट्रक्चर हो रहे हैं, नई तकनीक डेवलप हो रही है. तेज रफ्तार निर्माण और विदेशी कंपनियों के लिए सकारात्मक माहौल तैयार किया जा रहा है. भारत निवेशकों के लिए बड़ा विकल्प बनकर उभर रहा है. दुनियाभर के निवेशक भारत की विकास संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं. वहीं फाइनेंशियल प्रोफेशनल्स पीएम मोदी की उन संभावनाओं को लेकर गंभीर है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि साल 2025 तक वो भारत को 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बना देंगे.
बढ़ रहा भारत, चीन की हालत खराब
एक तरफ भारत के आर्थिक विकास के नए आयाम को छू रहा है तो वहीं चीन की हालात खराब है. चीन आर्थिक संकटों से जूझ रहा है. चीन में डिफ्लेशन का खतरा बढ़ता रहा है. रियल एस्टेट सेक्टर में आई सुनामी ने कई बड़ी कंपनियों को अपनी चपेट में ले लिया है. चीन आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है. इन चुनौतियों के चलते चीन के शेयर बाजार लगातार गिरावट का सामना कर रहे हैं. शंघाई, शेन्जेन और हांगकांग के शेयर मार्केट से निवेशकों के 5 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा स्वाहा हो चुके हैं. डर के माहौल में निवेशक चीन के बाजार से पैसा निकालने लगे हैं.वहीं चीनी सरकार के सख्त नियमों और दखलअंदाजी के चलते विदेशी कंपनियां चीन से बाहर निकलने लगी है. जिसका असर चीन के एफडीआई पर दिखा. चीन के एफडीआई अब तक 12 फीसदी गिर चुका है.
चीन के मुकाबले भारत का शेयर बाजार
जहां चीन के शेयर बाजार में बिकवाली है तो नहीं भारत का शेयर बाजार रिकॉर्ड बना रहा है. भारत का स्टॉक मार्केट रिकॉर्ड हाई पर है. बीते साल भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टेड कंपनियों की मार्केट कैप 4 लाख करोड़ डॉलर को पार कर गया. ब्रोकरेज फर्म जेफरीज की माने तो साल 2030 तक भारतीय शेयर बाजार का मार्केट वैल्यू 10 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच सकता है. इस ग्रोथ को देखते हुए बड़े निवेशकों के लिए भारत को नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा.
चीन का विक्लप बनकर उभर रहा भारत
दुनियाभर की दिग्गज कंपनियां चीन का विकल्प खोज रही हैं. कंपनियां ऐसे जगह की तलाश में है जो चीन की जगह ले सकता है. चीन का विकल्प तलाश रहे निवेशकों ने पहले जापान का रूख किया, लेकिन अब यह देश मंदी की चपेट में है. हाल ही में उसने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का खिताब भी खो दिया है. ऐसे में भारत की संभावना बढ़ गई है. वहीं ग्लोबल स्टॉक इंडेक्स कंपाइलर एमएससीआई के मुताबिक उभरते बाजारों के सूचकांक में भारत का भार 17.98% से बढ़ाकर 18.06% रहेगा, जबकि चीन की हिस्सेदारी घटकर 24.77% कर दिया है.
स्थिर सरकार से बढ़ता निवेश
भारत में मोदी सरकार ने दो कार्यकाल पूरे कर लिए है. तीसरे कार्यकाल को लेकर भी उम्मीदों का बाजार गर्म है. बाजार पर नजर रखने वालों को उम्मीद है कि मोदी सरकार तीसरा कार्यकाल पूरा करेगी. स्थिर सरकार से आर्थिक नीतियों के बारे में पूर्वानुमान लगाना आसान हो जाता है, जिससे निवेशकों का आकर्षण बढ़ता है.