भारत में 9-10 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का सामर्थ्य: जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत की नई सरकार ने अपने एक साल के कार्यकाल में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए बड़ी संख्या में सुधारवादी कदम उठाए हैं और देश में 9-10 प्रतिशत वार्षिक आर्थिक वृद्धि का सामर्थ्य है।
बाकू/नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत की नई सरकार ने अपने एक साल के कार्यकाल में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए बड़ी संख्या में सुधारवादी कदम उठाए हैं और देश में 9-10 प्रतिशत वार्षिक आर्थिक वृद्धि का सामर्थ्य है।
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि भारत में 9-10 प्रतिशत वृद्धि दर्ज करने का सामर्थ्य है। इसका लाभ उठाने के लिए हमें ग्रामीण क्षत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास और सिंचाई पर बड़ा निवेश करना है और यह एक ऐसा क्षेत्र जिसमें हम प्रगति कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा बुनियादी ढांचे में बहुत निवेश की जरूरत है ताकि इसका विनिर्माण क्षेत्र को लाभ हो।
अजरबैजान की राजधानी, बाकू में एक न्यूज चैनल में साक्षात्कार में जेटली ने कहा कि तभी (ऐसा करने पर ही) नौ-दस प्रतिशत की वृद्धि हासिल की जा सकती है और एक बार एक दशक तक इस स्तर की वृद्धि दर्ज हासिल कर ली जाए तो हम घटा सकते हैं। तभी मैं इसके बारे में उत्साहित महसूस करूंगा। जेटली एशियाई विकास बैंक की सालाना बैठक में शामिल होने के लिए बाकू आए थे। राजग सरकार 26 मई को अपना एक साल पूरा करेगी। जेटली ने कहा कि भारत के इतिहास में कभी भी ऐसी सरकार नहीं रही जिसने अपने कार्यकाल के पहले साल में ही इतने अधिक सुधार किए हो। उन्होंने कहा कि सरकार ने निवेश के लिए लगभग हर क्षेत्र को खोल दिया है। घरेलू हो या अंतरराष्ट्रीय, हर मामले में निवेश बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि हम अपनी प्रक्रियाओं को हर संभव आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं और जब मैं यह कह रहा हूं कि हमारी प्रक्रियाएं आसान हो गई हैं तो इसका अर्थ है वन मंजूरी अपेक्षाकृत बहुत तेजी से मिल रही है, बुनियादी ढांचा विकास की परियोजनाएं अब आगे बढ़ रही हैं, लोग परेशान नहीं हो रहे, भ्रष्टाचार के संबंध में काना-फूसी भी नहीं हो रही है। वस्तु एवं सेवा कर के बारे में जेटली ने कहा कि इस मुद्दे पर व्यापक सहमति है। उन्होंने कहा कि मैंने राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ कई बैठकें की हैं। मैंने ज्यादातर राजनीतिक दलों से बात की है और उनमें व्यापक सहमति है। उन्होंने कहा कि आखिरकार, इससे राज्यों को फायदा है। इससे भारत के सकल घरेलू उत्पाद को फायदा होगा। इससे देश भर में वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्बाध हस्तांतरण में मदद मिलेगी। इससे कर संग्रह का अनुपात बढ़ेगा। इससे परेशानी घटेगी।