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नई दिल्ली: भारत और मॉरीशस ने शनिवार (27 मई) को समुद्री सुरक्षा के संबंध में समझौता किया. भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मॉरीशस में उनके समकक्ष प्रविंद जगन्नाथ के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता होने के बाद हिंद महासागरीय द्वीप देश को 50 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता बढ़ा दी है. मोदी ने जगन्नाथ के साथ संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "हिंद महासागर के प्रमुख देशों के रूप में प्रधानमंत्री जगन्नाथ और मैं इस बात पर सहमत हूं कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम सामूहिक रूप से अपने समुद्र तटों और विशेष आर्थिक क्षेत्रों के आसपास समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करें."
उन्होंने कहा कि दोनों देशों को समुद्री लूट के खिलाफ सतर्क रहना चाहिए, जिससे व्यापार,पर्यटन, मादक पदार्थ, मानव तस्करी, अवैध मछलियां पकड़ना और समुद्री संसाधनों के सभी अवैध शोषण के स्वरूपों पर असर पड़ा है.
मोदी के मुताबिक, "आज द्विपक्षीय समुद्री सुरक्षा समझौता होने का फैसला हमारे परस्पर सहयोग और क्षमताओं को मजबूत करेगा."
मोदी ने यह भी कहा कि एनसीजी (राष्ट्रीय तट रक्षक बल) के ट्राइडेंट परियोजना, एकीकृत विकास परियोजना के जरिए भारत अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए मॉरीशस के एनसीजी को सहयोग देगा. मोदी ने बताया कि एक अनुदान सहायता कार्यक्रम के तहत मॉरीशस को दिए गए तटरक्षक जहाज गार्जियन को नवीनीकृत करने का निर्णय भी लिया गया है.
समुद्री सुरक्षा और नियंत्रण रेखा पर हुए समझौतों के अलावा, समुद्री विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शिक्षा और शोध करने और मॉरीशस में एक सिविल सेवा कॉलेज की स्थापना के संबंध में दो ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए. भारत द्वारा शुरू किए गए सौर गठबंधन को मॉरीशस ने समर्थन देते हुए लेखपत्र सौंपा.
मोदी ने कहा, "मॉरीशस द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन पर हस्ताक्षर करने और इसके प्रारूप को समर्थन देने से दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में क्षेत्रीय भागीदारी की संभावनाओं का द्वार खुल गया है."
प्रधानमंत्री मोदी ने मॉरीशस के विकास में भारतीय मूल के लोगों के योगदान पर गर्व भी जाहिर किया. जगन्नाथ भी उन भारतंवशी श्रमिकों के वंशजों में से एक हैं, जो 19वीं सदी में गन्ने के खेत में काम करने के लिए मॉरीशस लाए गए थे. जगन्नाथ ने कहा कि भारत और मॉरीशस दोनों इस बात पर सहमत हैं कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता.
जगान्नथ ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन देने की बात भी कही. इसके अलावा जगन्नाथ ने बताया कि उन्होंने मोदी के साथ दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौते पर करार होने के संबंध में भी चर्चा की.
इससे पहले शनिवार (27 मई) को जगन्नाथ का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक रूप से स्वागत किया गया, इसके बाद उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात भी की. जगन्नाथ शुक्रवार (26 मई) को तीन दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे. जनवरी में प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने के बाद से जगन्नाथ की यह पहली विदेश यात्रा है.