'सबसे मजबूत दौर में पहुंचने वाली है भारतीय अर्थव्यवस्था, खत्म हो रहा है नोटबंदी का असर'
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'सबसे मजबूत दौर में पहुंचने वाली है भारतीय अर्थव्यवस्था, खत्म हो रहा है नोटबंदी का असर'

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में नोटबंदी के बाद सुस्त पड़े उपभोग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है और यह दोपहिया तथा यात्री कारों की बिक्री में भी दिखा है.

शेयर बाजारों में तेजी के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्हें कम महंगाई, मुनाफा और वित्तीय बचतों में सुधार से मदद मिलती है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सबसे मजबूत दौर में प्रवेश के मुहाने पर खड़ी है और शेयर बाजारों में जबरदस्त तेजी अभी आनी है जिससे नेशन स्टॉक एक्सचेंज के प्रमुख सूचकांक निफ्टी के अगले साल 11500 तक पहुंच सकता है. पूंजी बाजार एवं वित्त बाजार पर अनुसंधान एवं परामर्श आदि सेवाएं देने वाली संस्था एडेलवीस इंवेस्टमेंट रिसर्च ने कहा है कि कोई भी अर्थव्यवस्था अपने सबसे मजबूत दौर में तब कही जाती ऊै जब शेयर बाजार, बांड और जिंस बाजार में एक साथ तेजी हो. अनुसंधान रपट में कहा गया है कि, ‘हमें यकीन है कि भारत इस दौर में प्रवेश के मुहाने पर है और बाजारों में उछाल अभी आना बाकी है.’

एडेलवीस इंवेस्टमेंट रिसर्च के अनुसार इस समय जो भी तेजी है उसमें उपभोग और निर्यात मांग की बड़ी भूमिका है. इस साल के शुरुआती महीनों में करेंसी की कमी के दौर के बाद उपभोग में तेजी से सुधार हुआ है. निवेश में सुधार है पर यह अभी सरकारी समर्थन पर है. यह समर्थन पूरी अर्थव्यवस्था के लिए पर्याप्त नहीं है पर रेलवे, सड़क और बिजली पारेषण एवं वितरण जैसे क्षेत्रों के लिए यह बड़ा प्रभावी है.

शेयर बाजारों में तेजी के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्हें कम महंगाई, मुनाफा और वित्तीय बचतों में सुधार से मदद मिलती है. हालांकि निफ्टी में निवेश के प्रतिफल की तुलना 10 साल के सरकारी बांड से करें तो शेयर बाजार अब भी आकर्षक लगते हैं. इससे यही लगता है कि बांड बाजार से धन का प्रवाह शेयरों की तरफ जारी रहेगा. रिपोर्ट में अगले साल निफ्टी के 11500 अंक के स्तर को छू लेने की संभावना व्यक्त की गयी है. निफ्टी अभी 9700 अंक के आस-पास है. 25 जुलाई को यह पहली बार 10 हजार अंक के स्तर को पार करने में सफल हुआ था.

भारत की आर्थिक वृद्धि का इंजन माना जाने वाले व्यापार के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी के वैश्विक आर्थिक विकास से भारतीय निर्यात के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है. उसने कहा, ‘रुपये के मजबूत होने के बाद भी निर्यात बढ़ा है. हमें उम्मीद है कि वैश्विक औद्योगिक गतिविधियों में हो रहे सुधार से निर्यात में वृद्धि बनी रहेगी.’ उसमें आगे कहा गया है कि देश में नोटबंदी के बाद सुस्त पड़े उपभोग में धीरे धीरे सुधार हो रहा है और यह दोपहिया तथा यात्री कारों की बिक्री में भी दिखा है. इससे निवेश में सुधार होने की संभावना है. रिपोर्ट के अनुसार, ‘हमें यकीन है कि देश के मजबूत उपभोग से 2003-08 और उसके पहले के कई दौर की तरह निवेश में तेजी देखने को मिलेगी.’

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