How to Decide Train Name: राजधानी से लेकर शताब्दी तक! जानिए कैसे तय होते हैं ट्रेनों के नाम
Advertisement

How to Decide Train Name: राजधानी से लेकर शताब्दी तक! जानिए कैसे तय होते हैं ट्रेनों के नाम

How to decide train name: ट्रेन से सफर करने वाले ट्रेनों को उसके नंबर से ज्यादा नाम से जानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं हैं कि किसी भी ट्रेन का नाम कैसे तय किया जाता है. आइए जानते हैं कैसे तय होते हैं ट्रेन के नाम. 

Indian Railways Train Name

Indian Railways Train Name: भारतीय रेलवे से लाखों लोग हर दिन सफर करते हैं. ज्यादातर लोग ट्रेन को उसके नाम से जानते हैं न कि उस ट्रेन के नंबर से. ट्रेन के नंबर की तरह उनके नाम भी अलग-अलग होते हैं. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि किसी भी ट्रेन का नाम कैसे रखा जाता है? दरअसल, ट्रेनों के नाम उनकी खासियत के हिसाब से तय किये जाते हैं. 

राजधानी का नाम कैसे पड़ा?

जैसे राजधानी ट्रेन का नाम कैसे रखा गया? दरअसल, राजधानी ट्रेन की शुरुआत एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश की राजधानी से जोड़ने के लिए किया गया था. राजधानी दिल्ली समेत प्रदेशों की राजधानी के बीच तेज गति की ट्रेनों को चलाए जाने और लोगों की यात्रा को आसान बनाने के लिए 'राजधानी' ट्रेन की शुरुआत की गई और इसीलिए इसका नाम राजधानी रखा गया.

राजधानी ट्रेन अपनी रफ्तार के लिए जानी जाती है. अभी इसकी गति 140 किमी प्रति घंटे की है. राजधानी भारत की सबसे पसंदीदा ट्रेन है और इसकी रफ्तार को समय-समय पर अपग्रेड भी किया जाता रहा है.

ये भी पढ़ें- Stock Market Closed: शेयर बाजार फिर धड़ाम, इन बड़े शेयरों ने निवेशकों को कर दिया कंगाल

'शताब्दी' नाम के पीछे है ये वजह

तेज रफ्तार से दौड़ने वाली शताब्दी ट्रेन भारत की सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाली ट्रेनों में से एक है. ट्रेन से सफर करने वाले यात्री इस ट्रेन को 400 से 800 किमी  के लिए ज्यादा पसंद करते हैं. शताब्दी की रफ्तार 160 km प्रति घंटे की है. इसमें कोई स्लीपर कोच नही होते है, बल्कि बस AC चेयर कार और एग्जेक्यूटिव चेयर कार होती हैं. 

अब जानते हैं कि शताब्दी का नामकरण कैसे हुआ? दरअसल, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के 100वें जन्म दिन पर यानी 1989 में इस ट्रेन की शुरुआत की गई. चाचा नेहरू के जन्म शताब्दी के दिन शुरू होने के चलते इसे 'शताब्दी' नाम दिया गया.

दुरंतो की क्या है कहानी?

दुरंतो की रफ्तार 140 किमी है. इसके कम स्टॉपेज होते हैं और ये ट्रेन लंबे सफर की होती है. दुरंतो का नाम बंगाली शब्द निर्बाद यानी 'restless' से पड़ा. चुकी इसके स्टॉपेज कम होते हैं इसलिए इसे रेस्टलेस यानी दुरंतो का नाम दिया गया है.

आपको बता दें कि दुरंतो को रोजाना केवल विशेष परिस्थिति में ही चलाया जाता है. इसके अलावा इन ट्रेनों को हफ्ते में 2 से 3 दिन के हिसाब से ही चलाया जाता है.

Trending news