पांच साल में 3000 अरब डॉलर की होगी भारतीय अर्थव्यवस्था: अरविंद पनगढ़िया
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पांच साल में 3000 अरब डॉलर की होगी भारतीय अर्थव्यवस्था: अरविंद पनगढ़िया

भारतीय अर्थव्यवस्था 5 साल से कम समय में 3,000 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर जाएगी और चालू वित्त वर्ष (2015-16) में देश की आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर आठ प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने सोमवार को यह राय व्यक्त की।

पांच साल में 3000 अरब डॉलर की होगी भारतीय अर्थव्यवस्था: अरविंद पनगढ़िया

नयी दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था 5 साल से कम समय में 3,000 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर जाएगी और चालू वित्त वर्ष (2015-16) में देश की आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर आठ प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने सोमवार को यह राय व्यक्त की।

पनगढ़िया ने कहा, यदि इस वित्त वर्ष में हम आठ प्रतिशत के आंकड़े पर नहीं पहुंचते हैं, तो मुझे काफी निराशा होगी। पांच साल अथवा इससे भी कम समय में हमारी अर्थव्यवस्था 3,000 अरब डॉलर के आंकड़े पर पहुंच जायेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार इस समय 2,000 अरब डॉलर से कुछ अधिक है। जबकि 2014-15 में आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रही। चीन और जापान के बाद भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

नीति आयोग के प्रमुख ने कहा कि हालिया समय में जारी सुधारों और मेक इन इंडिया अभियान के तहत विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किए जाने से भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में दिक्कतों के बावजूद वैश्विक निर्यात में कुछ बड़े हिस्से की उम्मीद कर सकता है। उन्होंने कहा, दुनिया की अर्थव्यवस्था काफी बड़ी है और वैश्विक निर्यात में हमारी हिस्सेदारी अभी भी दो प्रतिशत से कम है। ऐसे में सुस्त विश्व अर्थव्यवस्था के बावजूद हमारे लिए वृद्धि की काफी संभावना है। जब तक हम सुधारों के रास्ते पर चलेंगे और रुपये का मूल्य अनावश्यक रूप से उंचा नहीं होगा, हम ऐसी स्थिति में होंगे जिससे कि चीन के वैश्विक निर्यात में 12 प्रतिशत के हिस्से में से कुछ अपने पक्ष में ला सकते हैं।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष पनगढ़िया ने कहा, चीन में मजदूरी पहले ही काफी बढ़ चुकी है और कई विनिर्माता अब ऐसे गंतव्यों को देख रहे हैं जहां मजदूरी कम है। भारत ऐसे गंतव्य की दृष्टि से बेहतर स्थिति में है। वैश्विक घटनाक्रमों के भारत पर पड़ने वाले प्रभावों पर पनगढ़िया ने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती को कुछ अधिक बढ़ाचढ़ाकर बोला जाता है। उन्होंने कहा कि यूरोप पिछले कुछ साल से कुछ समस्याओं से जूझ रहा है, लेकिन वहां सकारात्मक घटनाक्रम अधिक उल्लेखनीय हैं। पनगढ़िया ने कहा कि 2014 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2.4 प्रतिशत रही, जिसके बाद ऐसी चर्चाएं हैं कि वहां ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो सकती है।

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन सात प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रही है। भारत की वृद्धि दर 2014-15 में 7.3 प्रतिशत रही है। देश के विकास एजेंडा को आगे बढ़ाने में नीति आयोग की भूमिका पर पनगढ़िया ने कहा, लगभग सभी पैमानों पर इसकी भूमिका है। इसे केंद्र और राज्य स्तर पर सुधारों को आगे बढ़ाने में मदद करने के अलावा नीतियां बनाने में भी मदद करनी है। पनगढ़िया ने कहा कि नीति आयोग को राज्यों में कार्यक्रमों और परियोजाओं की निगरानी में मदद करनी चाहिए। विशेष रूप से केंद्र प्रायोजित कार्यक्रमों की। इसे केंद्र के अलावा राज्यों के लिये आर्थिक शोध संस्थान की भी भूमिका निभानी है। उन्होंने आगे कहा कि नीति आयोग के गरीबी उन्मूलन व कृषि के आधुनिकीकरण पर दो कार्यबल राज्यों में समानान्तर कार्यबलों के साथ सहयोग से काम कर रहे हैं।

पनगढ़िया ने कहा कि मुख्यमंत्रियों के केंद्र प्रायोजित योजनाओं, स्वच्छ भारत मिशन व कौशल विकास पर तीन उपसमूह नीति आयोग की देखरेख में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में हम व्यस्त हैं। फिलहाल आयोग 12वीं पंचवर्षीय योजना की मध्यावधि समीक्षा कर रहा है। इसके अलावा वह बुनियादी ढांचे के नियमन, राष्ट्रीय उर्जा नीति व सूचना प्रौद्योगिकी नीति पर काम कर रहा है। नीति आयोग के प्रमुख ने कहा, हम स्व रोजगार प्रतिभा इस्तेमाल (एसईटीयू) योजना तथा अटल नवोन्मेषण मिशन (एआईएम) के तहत देश में उद्यमशीलता व नवोन्मेषण प्रणाली को संस्थागत करने के लिए काम कर रहे हैं। इसके अलावा कारोबार में सुगमता के लिए उपक्रमों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। मेक इन इंडिया के तहत हमने इलेक्ट्रानिक्स उद्योग के अध्ययन के लिए शुरुआती काम शुरू कर दिया है।

 

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