पोलर रूट से अमेरिका पहुंचना ज्यादा फ्यूट एफिशिएंट है. दूरी कम होने से ईंधन भी कम लगता है और ट्रैवल टाइम में भी कमी आती है.
Trending Photos
नई दिल्ली: नेशनल कैरियर एयर इंडिया (Air India) ने नॉर्थ अमेरिका (USA) के लिए नया रूट अपनाया है. इस रूट को पोलर रूट कहते हैं. एयर इंडिया पहली बार इस रूट का इस्तेमाल करने जा रही है. इस रूट पर विमान संचालन शुरू होने के बाद एयर इंडिया भारत और नॉर्थ अमेरिका के बीच नॉनस्टॉप फ्लाइट सेवा शुरू करेगी.
पोलर रूट से अमेरिका पहुंचना ज्यादा फ्यूट एफिशिएंट है. दूरी कम होने से ईंधन भी कम लगता है और ट्रैवल टाइम में भी कमी आती है. इन दो प्रमुख और तात्कालिक फायदे के अलावा एयरक्रॉफ्ट यूटिलिटी में सुधार होता है, साथ ही कार्बन इमिशन भी कम होता है. वर्तमान में एयर इंडिया की फ्लाइट अमेरिका पहुंचने के लिए अटलांटिक और प्रशांत महासागर रूट को अपनाती है. पोलर रूट का वर्तमान में उचित तरीके से इस्तेमाल नहीं हो रहा है.
जानकारी के मुताबिक, 15 अगस्त को एयर इंडिया इस रूट पर पहली उड़ान भरेगी. इस फ्लाइट को कैप्टन रजनीश शर्मा और कैप्टन दिग्विजय सिंह उड़ाएंगे. एयर इंडिया की यह फ्लाइट नई दिल्ली से सैन-फ्रांसिस्को के लिए उड़ान भरेगी. माना जा रहा है कि इस रूट का अगर ठीक से इस्तेमाल किया गया तो भारत और अमेरिका दोनों को बहुत फायदा होगा.
दिल्ली से टोरंटो के लिए Air India शुरू कर रहा सीधी उड़ान, किराये पर मिल रही छूट
पोलर रूट का अब तक सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया है इसकी कई वजहें हैं. इस रूट पर कई चुनौतियां हैं जिसे पार पाना होगा. मसलन, इस रूट पर मैग्नेटिक फील्ड की परिस्थितियां अलग हैं. डायवर्जन के समय में खतरा बढ़ जाता है. इमरजेंसी केस में वैकल्पिक एयरपोर्ट की कम सुविधा है. ठंड की वजह से फ्यूल के जम जाने का भी खतरा है.
वहीं, इस रूट का इस्तेमाल करने पर कई फायदे भी हैं.
1. इस रूट पर 2000 किलोग्राम से 7000 किलोग्राम तक ईंधन की बचत होगी.
2. कॉर्बन इमिशन की बात करें तो हर फ्लाइट पर 6000 किलोग्राम से 21000 किलोग्राम कॉर्बन कम निकलेगा और उतना ही कम प्रदूषण होगा.
3. इस रूट पर विमान उड़ाने के लिए DGCA और FAA से मंजूरी मिल चुकी है.