नई दिल्ली: अपने और परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हम सभी इंश्योरेंस लेते हैं. विपरीत परिस्थितियों में यह बहुत मदद करता है. अब जब मेडिकल खर्च बहुत बढ़ गया है तो ज्यादातर लोग हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं. इंश्योरेंस होने की वजह से अगर कोई बीमार पड़ता है तो लाखों का बिल उसे अपनी जेब से नहीं चुकाना होता है.  जनरल इंश्योरेंस में अगर किसी की मौत हो जाती है तो नॉमिनी को इंश्योरेंस कंपनी पैसा देती है. लेकिन, जब आप इंश्योरेंस लेते हैं तो सारे बेनिफिट्स के साथ-साथ टर्म्स और कंडीशन होता है. इसलिए जरूरी है कि आप उन्हें जरूर पढ़ें. इस आर्टिकल में आपको लाइफ इंश्योरेंस से जुड़ी सभी बातों को बताएंगे. इससे आपको क्लेम करने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी.


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लाइफ इंश्‍योरेंस क्‍लेम करने की प्रक्रिया
पॉलिसी धारक की मृत्‍यु हो जाने पर, आश्रितों को इंश्योरेंस कंपनी को पॉलिसी नंबर, बीमित व्यक्ति का नाम, मौत की तारीख, स्थान और कारण, इत्यादि जैसे विवरणों के साथ एक लिखित सूचना भेजनी चाहिए. इसके लिए आप अपने नजदीकी ब्रांच से सूचना फॉर्म प्राप्त कर सकते हैं या ऑफिशियल वेबसाइट से इसे डाउनलोड कर सकते हैं.


लाइफ इंश्‍योरेंस क्‍लेम से संबंधित दस्‍तावेज
क्‍लेम फॉर्म जमा करते समय, डेथ सर्टिफिकेट, बीमित व्यक्ति का आयु प्रमाण, पॉलिसी दस्तावेज, डीड्स ऑफ असाइनमेंट आदि दस्‍तावेज दाखिल करें. यदि एक पॉलिसी धारक की मौत, लाइफ इंश्योरेंस खरीदने के तीन साल के भीतर हो जाती है तो कुछ अतिरिक्त दस्तावेज भी पेश करने पड़ते हैं. इनमें - अस्पताल का प्रमाणपत्र यदि मृत व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती किया गया था, घटना के दौरान उपस्थित व्यक्ति से दाह-संस्कार या दफन का प्रमाणपत्र, नियोक्ता का प्रमाणपत्र यदि मृत व्यक्ति नौकरी करता था, बीमारी के विवरणों का उल्लेख करते हुए एक मेडिकल अटेंडेंट का प्रमाणपत्र शामिल है.  


30 दिनों के भीतर होगा क्लेम का सेटलमेंट
IRDAI के नियमानुसार, बीमा कंपनियों को बीमे की रकम क्लेम करने के तीस दिन के भीतर जारी कर देनी चाहिए. यदि इंश्योरेंस कंपनी को अतिरिक्त छानबीन करने की जरूरत हो तो भुगतान प्रदान करने की प्रक्रिया, क्लेम प्राप्त होने के बाद 6 महीने के भीतर पूरी हो जानी चाहिए.