श्रम संगठनों की बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल से बैंकिंग और अन्य सेवाएं प्रभावित हुई। उद्योग मंडलों का कहना है कि इस हड़ताल से अर्थव्यवस्था को 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उद्योग मंडलों ने कहा कि इस तरह की ‘बाधात्मक’ कार्रवाई से भारत की आकर्षक कारोबारी लक्ष्य के लिए छवि प्रभावित हो सकती है।
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नई दिल्ली : श्रम संगठनों की बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल से बैंकिंग और अन्य सेवाएं प्रभावित हुई। उद्योग मंडलों का कहना है कि इस हड़ताल से अर्थव्यवस्था को 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उद्योग मंडलों ने कहा कि इस तरह की ‘बाधात्मक’ कार्रवाई से भारत की आकर्षक कारोबारी लक्ष्य के लिए छवि प्रभावित हो सकती है।
उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि श्रम कानून देश में निवेश और रोजगार सृजन के लिए अनुकूल माहौल कायम करने की दृष्टि से जरूरी हैं। सीआईआई ने कहा कि सरकार ने त्रिपक्षीय विचार विमर्श की प्रक्रिया अपनाई है। उद्योग मंडल ने उम्मीद जताई कि सभी संबंधित पक्ष विचार विमर्श के जरिये अपने मतभेदों को दूर करेंगे।
सीआईआई के अध्यक्ष सुमित मजूमदार ने इस हड़ताल को ‘बाधात्मक और अवांछित’ बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस तरह की अडचनों को बर्दाश्त नहीं कर सकती। हम सभी यूनियनों से अपील करते हैं कि वे सभी लंबित मुद्दों का समाधान बातचीत के जरिये करें।
सीआईआई ने कहा कि बैंकों में कामकाज बंद होने से बैंकिंग लेनदेन प्रभावित होता है जो कारोबारी परिचालन के लिए जरूरी है। एक अन्य उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा कि आवश्यक सेवाओं में बाधा से अर्थव्यवस्था को 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है। रावत ने कहा कि हड़ताल से जहां औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित हुईं वहीं खुदरा बाजारों में भी आवाजाही पर असर हुआ, क्योंकि इससे सार्वजनिक परिवहन बुरी तरह प्रभावित हुआ। बैंक कर्मचारिययों के हड़ताल पर रहने से बैंकिंग परिचालन प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि इससे निर्यात माल की डिलीवरी पर भी असर पड़ेगा।
उन्होंने इसके साथ ही कहा कि श्रम सुधार जरूरी हैं और सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए उद्योग के हित में एक सहमति वाला समाधान ढूंढना चाहिए। एक दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से आज देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।
हड़ताल से सबसे अधिक बैंकिंग और परिवहन सेवाएं प्रभावित हुईं। पश्चिम बंगाल में इस दौरान हुए हिंसक झड़पों के बाद 200 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया। सार्वजनिक क्षेत्र के 23 बैंक हड़ताल में शामिल हुए। इसके अलावा निजी क्षेत्र के 12 बैंक, 52 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और 13,000 सहकारी बैंक हड़ताल में शामिल हुए। हालांकि, एसबीआई, इंडियन ओवरसीज बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक के कर्मचारी हड़ताल से दूर रहे।