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नई दिल्ली : मुद्रास्फीति काबू में आने के मद्देजर बैंकर का मानना है कि वृहद-आर्थिक संकेतक रिजर्व बैंक की आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की और कटौती किये जाने के पक्ष में हैं। हालांकि, कुछ का यह भी मानना है कि केंद्रीय बैंक यथास्थिति बनाये रखेगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि कोल इंडिया में विनिवेश के जरिए 22,577 करोड़ रपए जुटाए जाने से जहां एक तरफ राजकोषीय स्थिति में सुधार हुआ है वहीं दूसरी तरफ विनिर्माण क्षेत्र में नरमी नीतिगत दरों में संभावित कटौती की ओर संकेत करते हैं।
कुछ बैंकरों का कहना है कि रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन यथास्थिति बरकरार रख सकते हैं और वह नीतिगत दरों में किसी भी तरह की कटौती करने से पहले 28 फरवरी को बजट से संकेत मिलने का इंतजार कर सकते हैं।
रिजर्व बैंक ने लगातार 20 महीने तक सख्त मौद्रिक नीति का रख बनाये रखने के बाद पिछले महीने अचानक नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर दी। केंद्रीय बैंक कल 2014-15 की छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करने वाला है। राजकोषीय घाटे से जुड़ी चिंता भी दूर हुई है विशेष तौर पर तब जबकि सरकार ने कोल इंडिया लिमिटेड में अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर रिकॉर्ड 22,577 करोड़ रपए जुटा लिये हैं।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेश सुशील मुहनोट ने कहा, मेरी उम्मीद है कि रिजर्व बैंक यथास्थिति बनाये रख सकता है क्योंकि 15 जनवरी के बाद कोई नया आंकड़ा नहीं आया है। रिजर्व बैंक गवर्नर इस मामले में कोई भी नई पहल करने से पहले बजट तक इंतजार करना पसंद करेंगे।
खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर पांच प्रतिशत रह गई जबकि थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति शून्य के करीब (0.1 प्रतिशत) पर है। आने वाले दिनो में और सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश से राजकोषीय स्थिति में काफी सुधार की उम्मीद है। अब तक सरकार ने सिर्फ दो कंपनियों में विनिवेश के जरिए 24,000 करोड़ रपए जुटाए हैं जिसमें पिछले साल सेल से प्राप्त 1,719 करोड़ रपए भी शामिल हैं।
इधर, ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स के प्रमुख अनिमेष चौहान ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों से जुड़े तमाम संकेतक दरों में कटौती के पक्ष में हैं और उन्हें उम्मीद है कि आरबीआई गवर्नर तीन फरवरी को दरों में कटौती पर विचार करेंगे।
सार्वजनिक क्षेत्र की आईएफसीआई के प्रबंध निदेशक मलय मुखर्जी ने कहा, दरों में कटौती के बारे में व्यापक उम्मीद है लेकिन रिजर्व बैंक के पास तमाम आंकड़े उपलब्ध हैं और वह अपने विवेक से फैसला करेगा। सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक ने एक अनुसंधान रिपोर्ट में कहा है कि अरबीआई आगामी समीक्षा में ब्याज दरों में सांकेतिक कटौती कर सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के कार्यकारी निदेशक राजन धवन ने कहा है कि यदि राजकोषीय पुनर्गठन भरोसेमंद है तो दरें घटनी शुरू होंगी।
धवन ने कहा, मुद्रास्फीति में गिरावट के बीच मुझे भरोसा है कि जल्दी ही जमा और रिण की दरें घटकर अधिक विश्वसनीय स्तर पर आएंगी। मैं रिजर्व बैंक के संबंध में अंदाजा नहीं लगा सकता क्योंकि यह उनके अधिकार क्षेत्र में है लेकिन मुझे लगता है कि जब आपके पास स्थिर, निम्न मुद्रास्फीति हो तो नीतिगत दरें कम होतीं हैं।