मोदी सरकार ने ढूंढी तरकीब: किसान होंगे मालामाल, कुछ ही दिनों में कमाई हो जाएगी दोगुनी
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मोदी सरकार ने ढूंढी तरकीब: किसान होंगे मालामाल, कुछ ही दिनों में कमाई हो जाएगी दोगुनी

कृषि विशेषज्ञ विजय सरदाना ने कहा, 'एक्सपोर्ट इस समय भी हो ही रहा है और बड़े किसान (Farmer) एक्सपोर्ट में भागीदारी भी ले रहे हैं पर कई बार क्वालिटी को लेकर या संबंधित देश‌ के इंपोर्ट नियमों के बारे में पता न होने से हमारे किसान (Farmer) को नुकसान होता है और कभी कभी रिजेक्शन का सामना भी करना पड़ता है.

पीएम मोदी ने पांच साल की भीतर किसानों की आय दोगुनी करने का आश्वासन दिया है.

नई दिल्ली: को-ऑपरेटिव (Cooperative) से जुड़े 13 करोड़ किसान (Farmer) परिवारों के लिए खुशखबरी है. सरकार को-ऑपरेटिव (Cooperative) सोसाइटीज़ के किसान (Farmer)ों के बने प्रोडक्ट को बड़ा प्लेटफार्म देने की तैयारी कर रही है. अभी तक बड़े किसान (Farmer) के प्रोडक्ट अलग-अलग तरह से एक्सपोर्ट होते रहे हैं पर छोटे किसान (Farmer) को इसमें दिक्कत आती थी. सरकार इस समस्या का हल निकालने के लिए Co-operative Export Promotion Council बनाने जा रही है. ये काउंसिल नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट काउंसिल की अगुवाई में काम करेगी.

  1. अब छोटे किसानों के प्रोडक्ट भी आसानी से एक्सपोर्ट होंगे
  2. सरकार को-ऑपरेटिव के लिए एक्सपोर्ट  प्रमोशन काउंसिल बनाएगी
  3. कोऑपरेटिव सोसायटीज़ से देश के 94% किसान जुड़े हैं, प्रोडक्ट तुरंत एक्सपोर्ट होंगे

कृषि से जुड़े डेयरी प्रोडक्ट, प्रोसेस्ड फूड, डाइटरी सप्लीमेंट, फिशरी प्रोडक्ट, हैंडलूम प्रोडक्ट, हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट और महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़े कई प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट में बहुत संभावनाएं हैं. इस समय कृषि से संबंधित प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट 30 अरब डॉलर है. जबकि एक्सपर्ट के मुताबिक 60 अरब डॉलर की संभावना है. वहीं कोऑपरेटिव से देश के 13 करोड़ किसान (Farmer) परिवार जुड़े हैं. इन किसान (Farmer)ों में 60% किसान (Farmer) छोटे और सीमांत किसान (Farmer) हैं. इसके अलावा सेल्फ हेल्प ग्रुप भी जुड़े हैं. को-ऑपरेटिव (Cooperative) से जुड़े किसान (Farmer) के प्रोडक्ट को सीधे इंटरनेशनल मार्केट देने के लिए को-ऑपरेटिव (Cooperative) एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल अहम भूमिका निभा सकता है.

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कृषि विशेषज्ञ विजय सरदाना ने कहा, 'एक्सपोर्ट इस समय भी हो ही रहा है और बड़े किसान (Farmer) एक्सपोर्ट में भागीदारी भी ले रहे हैं पर कई बार क्वालिटी को लेकर या संबंधित देश‌ के इंपोर्ट नियमों के बारे में पता न होने से हमारे किसान (Farmer) को नुकसान होता है और कभी कभी रिजेक्शन का सामना भी करना पड़ता है. सरकार छोटे किसान (Farmer) के लिए एक्सपोर्ट आसान करने का सोच रही है ऐसे में क्वालिटी और इंपोर्ट नियम वाला फैक्टर ध्यान में रखा जाए तो ही सफलता मिलेगी नहीं तो कोई फायदा नहीं होगा.'

नेशनल को-ऑपरेटिव (Cooperative) यूनियन ऑफ इंडिया से जुड़े सीपी सिंह यादव कहते हैं कि को-ऑपरेटिव (Cooperative) को फोकस करके एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल बनाना बहुत अच्छा कदम होगा. किसान (Farmer)ों के सामने बड़ी समस्या उनके प्रोडक्ट को सही मार्केट मिलना हमेशा रहती है और अगर इंटरनेशनल मार्केट आसानी से मिलता है तो ये बहुत अच्छी बात होगी.'

देश में कुल को-ऑपरेटिव (Cooperative) की संख्या करीब 8.5 लाख है, जिसमें से कृषि और इससे जुड़े को-ऑपरेटिव (Cooperative) करीब 2.32 लाख हैं. को-ऑपरेटिव (Cooperative) से जुड़े किसान (Farmer)ों को विदेश में बाजार मिलने से किसान (Farmer)ों के प्रोडक्ट समय पर बिकेंगे और उनकी आमदनी बढ़ेगी. इस सिलसिले में सरकार 11अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक दिल्ली के प्रगति मैदान में को-ऑपरेटिव (Cooperative) किसान (Farmer)ों के प्रोडक्ट का इंटरनेशनल मेला भी लगाने जा रही है. देश में को-ऑपरेटिव (Cooperative) प्रोडक्ट का ये पहला इंटरनेशनल मेला होगा.

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