NGT ने 'फॉक्सवैगन' और सरकार को नोटिस जारी किया
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NGT ने 'फॉक्सवैगन' और सरकार को नोटिस जारी किया

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने जर्मनी की कार विनिर्माता कंपनी फॉक्सवैगन पर भारत में वाहनों के विनिर्माण और बिक्री पर पाबंदी लगाने की एक याचिका पर केंद्र सरकार और कंपनी का जवाब मांगा है। एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने भारी उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम, पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और फॉक्सवैगन समूह को कल नोटिस जारी किया। 

 NGT ने 'फॉक्सवैगन' और सरकार को नोटिस जारी किया

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने जर्मनी की कार विनिर्माता कंपनी फॉक्सवैगन पर भारत में वाहनों के विनिर्माण और बिक्री पर पाबंदी लगाने की एक याचिका पर केंद्र सरकार और कंपनी का जवाब मांगा है। एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने भारी उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम, पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और फॉक्सवैगन समूह को कल नोटिस जारी किया।  नोटिस का जवाब 23 दिसंबर तक देने का निर्देश है। यह याचिका दिल्ली की स्कूल शिक्षिका सलोनी एइलावादी की ओर से दायर की गयी है।

याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधिकरण ने यह निर्देश जारी किया है। सलोनी ने तब तक फॉक्सवैगन द्वारा वाहनों के विनिर्माण, असेंबली और बिक्री की अनुमति नहीं देने मांग की है जब तक यह स्थापित न हो जाए कि ये काम भारत में तय नियमों के अनुरूप हो रहे हैं। एइलावादी ने भारतीय वाहन अनुसंधान संघ (एआरएआई) की हालिया रपट का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि फॉक्सवैगन और इसकी समूह की कंपनियां नियमों का खुला उल्लंघन कर भारत में वाहनों की बिक्री कर पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं। 

ये वाहन स्वीकृत सीमा से नौ गुना अधिक नाइट्रोजन आक्साइड का उत्सर्जन करते हैं। एइलावादी ने कहा था कि वह इस बारे में बेहद चिंतित हैं कि फॉक्सवैगन ने ‘सोचसमझ और जानबूझ कर पर्यावरण संबंधी नियमों के उल्लंघन की बात स्वीकार की है जिससे भारत और विश्व के लोगों के जीवन को खतरे में डाला गया है। इससे पहले सरकार ने एआरएआई द्वारा भारत में जेट्टा, ऑक्टेविया, ऑडी ए4 और ऑडी ए6 के डीजल माडल में उत्सर्जन के स्तर में उल्लेखनीय अंतर पाए जाने पर फॉक्सवैगन को नेाटिस जारी किया था। फॉक्सवैगन ने हाल में स्वीकार किया है कि विश्व भर में बेची गयी उसकी 1.1 करोड़ डीजल ईंजन वाली कारों में एक ऐसा साफ्टवेयर लगाया गया है जिससे उत्सर्जन जांच के समय उसके स्तर को छुपाया जा सकता है।

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