कॉल ड्रॉप: सुप्रीम कोर्ट से दूरसंचार कंपनियों को नहीं मिली राहत, देना होगा मुआवजा
Advertisement

कॉल ड्रॉप: सुप्रीम कोर्ट से दूरसंचार कंपनियों को नहीं मिली राहत, देना होगा मुआवजा

उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने 1 जनवरी, 2016 से उपभोक्ताओं को कॉल ड्रॉप पर मुआवजा देने के भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के फैसले को उचित ठहराया था।

कॉल ड्रॉप: सुप्रीम कोर्ट से दूरसंचार कंपनियों को नहीं मिली राहत, देना होगा मुआवजा

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने 1 जनवरी, 2016 से उपभोक्ताओं को कॉल ड्रॉप पर मुआवजा देने के भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के फैसले को उचित ठहराया था।

न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नारीमन की पीठ ने कहा, ‘यह अंतरिम आदेश का सवाल है। इस पर हम 10 मार्च, बृहस्पतिवार को सुनवाई करेंगे। अभी कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा रहा है।’ न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को कहा कि वे ट्राई के समक्ष इस रोक के मामले को लेकर जाएं। आपरेटरों को ट्राई के समक्ष सोमवार को पेश होना है।

न्यायालय ने केंद्र सरकार, टूाई और अन्य को नोटिस जारी कर अपना जवाब अगले सप्ताह से पहले देने को कहा है। सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) तथा वोडाफोन, भारती एयरटेल और रिलायंस सहित 21 आपरेटरों ने इस आदेश के खिलाफ अपील की है। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दूरसंचार कंपनियों की अपील का विरोध करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय का ट्राई के फैसले को उचित ठहराने का फैसला सही है।

रोहतगी ने कहा कि मैं दूरसंचार कंपनियों के किसी तरह की कार्रवाई न करने के आग्रह का भी विरोध करता हूं क्योंकि यह फैसला उपभोक्ताओं के हित में है। इसी वजह से हमें उच्च न्यायालय में सफलता मिली। इस पर पीठ ने कहा कि वह इस मामले की समीक्षा करेगी।

पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया उच्च न्यायालय के फैसले में गलत नजर नहीं आता है। यदि कॉल ड्रॉप आपरेटरों की वजह से होती है तो उन्हें इसके लिए भुगतान करना होगा। हालांकि, दूरसंचार कंपनियों ने कहा कि मामले को सुना जाना चाहिए।

इससे पहले उच्च न्यायालय ने ट्राई के 16 अक्तूबर, 2015 के फैसले को उचित ठहराया था। इसमें कॉल ड्रॉप के लिए आपरेटरों को प्रति कॉल ड्रॉप एक रुपये का मुआवजा देने को कहा गया है। एक उपभोक्ता को एक दिन में अधिकतम तीन रुपये तक मुआवजा मिल सकता है। उच्च न्यायालय ने सीओएआई द्वारा दायर समूह याचिकाओ को खारिज करते हुए यह आदेश दिया था।

दूरसंचार ऑपरेटरों ने ट्राई के आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि यह बिना सोचे समझे किया गया फैसला है। उनकी गलती साबित किये बिना उन्हें जुर्माना देने को कहा जा रहा है। दूरसंचार कंपनियों ने इस नियमन को मनमाना करार दिया था। उच्च न्यायालय ने दूरसंचार आपरेटरों की दलील खारिज करते हुए निष्कर्ष दिया था कि कॉल ड्रॉप के लिए मुआवजा सिर्फ तीन रुपये प्रति ग्राहक तय किया गया है। सिर्फ कॉल करने वाले उपभोक्ता को दूरसंचार कंपनियां यह जुर्माना देंगी।

Trending news