भारत के बाहर कोई भी 5.7% वृद्धि को अर्थव्यवस्था में सुस्ती आना नहीं कहेगा: यूरोपीय आयोग
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भारत के बाहर कोई भी 5.7% वृद्धि को अर्थव्यवस्था में सुस्ती आना नहीं कहेगा: यूरोपीय आयोग

भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने हाल ही में एक आलेख में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.

नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी (बीच में), यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाद जंकर (दाएं से पहले). (IANS/6 Oct, 2017)

नई दिल्ली: आर्थिक वृद्धि को लेकर घरेलू स्तर पर आलोचनाओं के बीच यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाद जंकर ने शुक्रवार (6 अक्टूबर) को कहा कि भारत के बाहर कोई भी 5.7 प्रतिशत वृद्धि दर को आर्थिक नरमी नहीं कहता क्योंकि यह यूरोप की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर की तुलना में कहीं बेहतर है. जंकर ने यहां एक कार्यक्रम के अवसर पर कहा, ‘आज जिसे सुस्ती कह रहे हैं वह यूरोप में बहुत अच्छा प्रदर्शन होगा. यूरोप में दो प्रतिशत की तुलना में 5.7 प्रतिशत की दर दिखाती है कि भारत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. आप जिसे नरमी कह रहे हैं मैं उससे ज्यादा भयभीत नहीं हूं.’ उन्होंने कहा कि भारत के बाहर कोई भी इसे आर्थिक सुस्ती नहीं कह रहा है.

  1. भारत की आर्थिक वृद्धि दर पहली तिमाही में कम होकर 5.7 प्रतिशत रह गई.
  2. यूरोप में 2% की तुलना में 5.7% की दर दिखाती है कि भारत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.
  3. यशवंत सिन्हा ने हाल ही में अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था.

उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर पहली तिमाही में कम होकर 5.7 प्रतिशत रह गई जो कि तीन साल का निचला स्तर है. इसको लेकर देश में काफी आलोचना हो रही है. विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने गुरुवार (5 अक्टूबर) को भारत की आर्थिक वृद्धि में हाल ही में आई गिरावट को अस्थायी बताते हुए कहा कि यह मुख्य रूप से जीएसटी के लिए तैयारियों में फौरी बाधाओं के कारण हुई. इसके साथ ही विश्व बैंक ने भरोसा जताया है कि वृद्धि में आई कमी आने वाले महीनों में सुधर जाएगी.

उन्होंने यहां यह भी कहा कि माल व सेवा कर (जीएसटी) का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा सकारात्मक असर होने जा रहा है. गौरतलब है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने हाल ही में एक आलेख में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.

'अर्थव्यवस्था में होगा सुधार, वित्त वर्ष 2017-18 में जीडीपी 7% से ज्यादा रहने का अनुमान'

इससे पहले जापान की वित्तीय सेवा देने वाली कंपनी नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रिजर्व बैंक के निकट भविष्य के अनुमान में गिरावट देखी जा सकती है. उसने कहा, ‘अपने आधार पर हमारा मानना है कि नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत वृद्धि में आयी गिरावट कम होने लगेगी और इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही से वृद्धि सुधरने लगेगी.’ उसने कहा कि उसके मुख्य संकेतकों से गैर-कृषि सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि में सुधार, फसलों की बुवाई में गिरावट तथा जीएसटी क्रियान्वयन के कारण कार्यशील पूंजी की कमी के संकेत मिलते हैं. क्षमता के कम उपयोग और बैंकों के संकटग्रस्त बही-खाता के कारण निवेश में लगातार कमी आयी है.

नोमुरा ने कहा, ‘इसी कारण हमें धीरे-धीरे चक्रीय पुनरुद्धार की उम्मीद है. सकल मूल्य वर्द्धन वृद्धि वित्त वर्ष 2016-17 के 6.6 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में 6.7 प्रतिशत हो जाएगी तथा जीडीपी वृद्धि सात प्रतिशत से अधिक होगी.’’ मंहगाई के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि इसमें तेजी आयी है लेकिन इसका कारण सांख्यिकीय और आपूर्ति संबंधी मुद्दे हैं. मांग से होने वाली मंहगाई अनुपस्थित है. उसने कहा, ‘‘सब्जियों की कीमतों में फिर से सुधार हुआ है और इससे अक्तूबर में मंहगाई में कमी आनी चाहिए. हालांकि हमारा अनुमान है कि 2018 में खुदरा मंहगाई दर 4.5 प्रतिशत से अधिक रहेगी.’

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