बैंकिंग सेक्टर के लिए खुशखबरी, उम्मीद से ज्यादा कम हुआ NPA का बोझ
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बैंकिंग सेक्टर के लिए खुशखबरी, उम्मीद से ज्यादा कम हुआ NPA का बोझ

क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 के अंत तक NPA घटकर 9.3 फीसदी पर आ गया, जो मार्च, 2018 के अंत तक 11.5 फीसदी था. 

मार्च, 2015 के बाद पहली बार NPA में गिरावट आई है. (फाइल)

मुंबई: देश की बैंकिंग प्रणाली में गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) मार्च, 2019 तक भारी गिरावट के साथ 9.3 फीसदी पर आ गई हैं. यह रिजर्व बैंक के अनुमान से भी अधिक है. क्रिसिल की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. एक साल पहले समान अवधि में NPA 11.5 फीसदी पर था. क्रिसिल की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जबकि ज्यादातर बैंक NPA के ‘दर्द’ की सीमा से गुजर चुके हैं और अब वे इसके निपटान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. 

क्रिसिल ने सोमवार को एक नोट में कहा, ‘‘प्रणाली के स्तर पर वित्त वर्ष 2018-19 के अंत तक NPA घटकर 9.3 फीसदी पर आ गया, जो मार्च, 2018 के अंत तक 11.5 फीसदी था. 

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रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च, 2015 के बाद पहली बार सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों के बैंकों के सकल NPA अनुपात में गिरावट आई है. रिजर्व बैंक के दबाव की वजह से डूबे कर्ज की पहचान का काम तेज₨ हुआ है. केंद्रीय बैंक चाहता है कि बैंकों का बही खाता उनके दबाव की सही तस्वीर दिखाए. रिजर्व बैंक द्वारा संपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा से NPA में भारी बढ़ोतरी हुई है. दिवाला कानून आने से इसे और समर्थन मिला है. 

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