पेट्रोल पर संकट : क्रूड खरीदना कम कर सकती हैं तेल कंपनियां, रुपया बढ़ा रहा आफत
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पेट्रोल पर संकट : क्रूड खरीदना कम कर सकती हैं तेल कंपनियां, रुपया बढ़ा रहा आफत

रुपये में लगातार आ रही गिरावट के ‘प्रभाव’ को कम करने के लिए सरकारी कंपनियां अग्रिम भंडार के लिए कच्चे तेल की खरीद घटाने पर विचार कर रही है.

भारत अपने कच्चे तेल की 81 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरी करता है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : कच्चे तेल की ऊंची कीमतों तथा रुपये में लगातार आ रही गिरावट के ‘प्रभाव’ को कम करने के लिए सरकारी कंपनियां अग्रिम भंडार के लिए कच्चे तेल की खरीद घटाने पर विचार कर रही है. इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन संजीव सिंह ने सोमवार को यह जानकारी दी. उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक है. 

सिंह ने पीटीआई भाषा से कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनरी कंपनियां इस तरीके से कच्चे तेल की अपनी इन्वेंट्री (भंडार) को संतुलित करने की संभावनाएं देख रहीं हैं ताकि उन्हें अग्रिम में तेल कम खरीदना पड़े और घरेलू बाजार में ईंधन की आपूर्ति प्रभावित न हो. रिफाइनरी कंपनियां आमतौर पर टैंकों में 7-8 दिन का भंडार रखती हैं. इसके अलावा वे पाइपलाइन और मार्ग में जहाजों में भी भंडार रखती हैं. उन्होंने बताया कि रिफाइनरी कंपनियां इस भंडार को घटाने पर विचार कर रही हैं ताकि कच्चे तेल का आयात घटाया जा सके. 

उल्लेखनीय है कि भारत अपने कच्चे तेल की 81 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरी करता है. सिंह ने कहा, ‘‘पिछले शनिवार 15 सितंबर को हमारी उद्योग के समक्ष विभिन्न मुद्दों पर बैठक हुई थी. इस बैठक में भंडारण के स्तर को घटाकर आयात में कमी लाने पर चर्चा हुई.’’ इस फैसले की एक और प्रमुख वजह यह है कि एशियाई प्रीमियम पिछले तीन-चार माह में 3 से 5 डॉलर प्रति बैरल के उच्चस्तर पर पहुंच गया है. 

एशियन प्रीमियम पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के देशों द्वारा एशियाई देशों से वसूला जाता है. पश्चिमी देशों से यह प्रीमियम नहीं लिया जाता है. सिंह ने कहा कि भंडारण के स्तर और आयात को घटाना एक अस्थायी उपाय है. इसमें घरेलू बाजार में आपूर्ति को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि घरेलू आपूर्ति को पूरा करना हमारी प्रमुख प्राथमिकता है. इस फैसले से घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा. 

सिंह ने कहा कि तेल की ऊंची कीमतों से दीर्घावधि में मांग प्रभावित होगी. ऐसे में आयात घटाना एक सही विचार है. अगस्त में भारत ने 9.8 अरब डॉलर के 1.86 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया है. पिछले साल समान महीने में भारत का कच्चे तेल का आयात 1.81 करोड़ टन था. मूल्य के हिसाब से यह 6.4 अरब डॉलर बैठता है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से अगस्त की अवधि में भारत ने 48.9 अरब डॉलर के 9.49 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में भारत ने 31 अरब डॉलर के 8.91 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया था. सिंह ने हालांकि यह नहीं बताया कि यह कदम कब से उठाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस पर अभी विचार विमर्श चल रहा है.

इनपुट भाषा से

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