सुधारवादी बजट चाहते हैं बैंकिंग सेक्टर के दीपक पारेख
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सुधारवादी बजट चाहते हैं बैंकिंग सेक्टर के दीपक पारेख

एलआईसी, एयर इंडिया और बीएसएनएल जैसी दिग्गज सरकारी कंपनियों में विनिवेश की वकालत करते हुए बैंकिंग क्षेत्र की मशहूर हस्ती दीपक पारेख ने कहा है कि इससे ‘लाखों करोड़ रुपये’ का भारी राजस्व सरकार के पास आएगा और इनके शेयर छोटे निवेशकों के हाथ में जाएंगे।

मुंबई : एलआईसी, एयर इंडिया और बीएसएनएल जैसी दिग्गज सरकारी कंपनियों में विनिवेश की वकालत करते हुए बैंकिंग क्षेत्र की मशहूर हस्ती दीपक पारेख ने कहा है कि इससे ‘लाखों करोड़ रुपये’ का भारी राजस्व सरकार के पास आएगा और इनके शेयर छोटे निवेशकों के हाथ में जाएंगे।

हालांकि, इस प्रकार के व्यापक विनिवेश के लिए एक सबसे बड़ी शर्त सरकार की सोच है क्योंकि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी एवं यूनियनों के दबाव से इस तरह के प्रस्ताव लंबे समय से अटके रहे हैं जिसमें पिछली संप्रग सरकार का कार्यकाल भी शामिल है।

संप्रग के कार्यकाल के दौरान भी इस तरह के उदाहरणों का सामने रखते हुए पारेख ने कहा कि वह बीएसएनएल और भारतीय रेलवे के बारे में गठित समितियों सहित कई महत्वपूर्ण सरकारी समितियों का हिस्सा थे, लेकिन उन समितियों द्वारा दिए गए सुझावों पर कुछ नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, ‘यदि आप सार्वजनिक क्षेत्र में एक कंपनी को उस हद तक नीचे गिरा देते हैं जहां निजी क्षेत्र की कोई भी इकाई उसे छूना नहीं चाहेगी तो आप क्या करेंगे।’ पारेख ने यह उम्मीद भी जताई कि नरेंद्र मोदी सरकार का पहला पूर्ण बजट सुधारों पर केंद्रित होगा जिसमें लोक लुभावना उपायों पर कोई खास जोर नहीं होगा।

उन्होंने नयी परियोजनाएं शुरू करने वाली एवं ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को आगे बढ़ाने वाली कंपनियों के लिए प्रोत्साहनों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सब्सिडी में कमी और बर्बादी व लीकेज रोकने जैसे कदमों से सरकार की वित्तीय सेहत अब पहले से काफी अच्छी स्थिति में है जिससे सुधारों पर आगे बढ़ सकती है। लेकिन सरकार को (राजकोषीय स्थिति के संबंध में) बराबर सावधान रहना होगा।

वित्त मंत्री जेटली की यह बात दोहरायी कि सुधार के लिए बजट का दिन ही नहीं बल्कि साल में 365 दिन होते हैं। फिर भी उन्होंने उम्मीद जताई है कि कहा कि दिल्ली चुनावों में भाजपा की हार से सुधारों की कीमत पर किसी तरह के लोक लुभावन योजनाओं की घोषणा किए जाने की संभावना नहीं है।

उन्होंने कोई निर्णय करते समय अधिकारियों में घर कर गए डर का भी जिक्र किया जिसके कारण निर्णय प्रकिया में देर होती है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को संरक्षण का आश्वासन दिया जाय तो स्थिति सुधर सकती है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री समय-समय पर नौकरशाहों को आश्वस्त करते रहे हैं कि उन्हें चिंता नहीं करनी चाहिए और ‘बिना भय या पक्षपात के काम करना चाहिए।’ पारेख ने कहा, ‘यह अच्छी बात है, लेकिन अधिकारी अब भी शत प्रतिशत आश्वस्त नहीं महसूस कर रहे हैं क्यों कि उनके सामान उनके पूर्व सहकर्मियों के साथ हुए व्यवहार का उदाहरण है। उन्हें डर है कि यदि उनका निर्णय गलत साबित हुआ तो उनकी जांच होगी और उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाएगा जैसे उन्होंने उससे कुछ पैसा बनाया हो या कोई निहित स्वार्थ रहा हो।’

एचडीएफसी के प्रमुख पारेख ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा कई निर्णय किए गए हैं, ‘लेकिन यह प्रक्रिया है. इन प्रक्रियाओं में तेजी लाने से कारोबार करना आसान होगा।’ उन्होंने यह धारणा खारिज की कि प्रधानमंत्री ने सभी चीजों पर खुद नियंत्रण कर रखा है जिससे प्रक्रिया में विलंब हो रहा है। पारेख ने यह भी कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिए निजी निवेश आवश्यक है और सरकारी खर्चों पर जरूरत से अधिक निर्भरता नहीं होनी चाहिए।

बाजार में धन जुटाने के लिए निजी इक्विटी, सॉवरेन फंड और विदेशी बांड जैसे ढेरों विकल्प मौजूद होने से कंपनियों के लिए वित्त पोषण कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
सरकार के महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की सफलता के लिए पारेख ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ढांचागत फर्मों से की गई प्रतिबद्धता का उचित सम्मान किया जाए और स्थानीय व विदेशी निवेशकों के लिए एक सही माहौल तैयार किया जाय।

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