देश के हर शख्स के ऊपर है 44,095 रुपये के कर्ज का बोझ
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देश के हर शख्स के ऊपर है 44,095 रुपये के कर्ज का बोझ

वृद्धि को लेकर विकास खर्च बढ़ाने से 2014-15 में प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ 2,966 रुपये बढ़कर 44,095 रुपये पर पहुंच गया जो एक 2013-14 में 41,129 रुपये था। सरकार के अस्थायी लेखा के अनुसार ऋण के बोझ में देशी और विदेशी ऋण के अलावा अन्य देनदारियां शामिल हैं।

नई दिल्ली : वृद्धि को लेकर विकास खर्च बढ़ाने से 2014-15 में प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ 2,966 रुपये बढ़कर 44,095 रुपये पर पहुंच गया जो एक 2013-14 में 41,129 रुपये था। सरकार के अस्थायी लेखा के अनुसार ऋण के बोझ में देशी और विदेशी ऋण के अलावा अन्य देनदारियां शामिल हैं।

देशों की सरकारों पर ऋण-भार संबंधी विश्व बैंक की इस वर्ष की रपट के अनुसार कुल 20 प्रमुख विकासशील देशों की सूची में भारत चौथे पायदान पर है। भारत सरकार के खाते में घरेलू ऋणों के ब्याज भुगतान पर 2012-13 में 4.04 लाख करोड़, 2013-14 में 4.85 लाख करोड़ और 2014-15 में 5.56 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। 

इन तीन वित्त वर्षों में विदेशी ऋणों के लिए भुगतान क्रमश: 37.2 करोड़ डालर, 36.6 करोड़ डालर और 38.9 करोड़ डालर रहा। 31 मार्च, 2015 के अंत तक कुल बकाया देनदारी 68.95 लाख करोड़ रुपये थी।

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