Trending Photos
नई दिल्ली. कई दिनों के बाद पेट्रोल-डीजल के दामों (Petrol Diesel Price) में हुई गिरावट से लोगों को थोड़ी राहत जरूर दी है लेकिन आने वाले दिनों में फिर से पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़त देखने को मिल सकती है. ये बात ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने कही है. उन्होंने कहा है कि हमें समझना होगा कि हम तेल आयात करते हैं. यह एक आयातित वस्तु है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक प्रमुख वजह कोरोना महामारी भी है.
तनेजा ने कहा कि आज के समय में हम अपनी जरूरत का करीब 86 फीसदी तेल का आयात करते हैं. ऐसे में तेल की कीमतें किसी सरकार के हाथ में नहीं हैं. पेट्रोल और डीजल दोनों ही नियंत्रण मुक्त वस्तुएं हैं. जुलाई 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार ने पेट्रोल को नियंत्रण मुक्त किया था, जबकि 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार ने डीजल को भी नियंत्रण मुक्त किया था.
तनेजा के अनुसार जब भी मांग और आपूर्ति में असंतुलन होता है, तेल के दामों में वृद्धि होना तय है. कीमतें बढ्ने का दूसरा कारण ऑल सेक्टर में निवेश की कमी है, क्योंकि सरकारें सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय / हरित ऊर्जा क्षेत्रों को बढ़ावा दे रही हैं. यही वजह है कि आने वाले महीनों में कच्चा तेल और अधिक महंगा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि 2023 में कच्चे तेल की कीमत 100 रुपये तक बढ़ सकती है.
ये भी पढ़ें: 5 साल पुराना बैंक अकाउंट स्टेटमेंट कैसे निकालें? जानें इसका तरीका
पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने के केंद्र सरकार के कदम के कारण के बारे में पूछे जाने पर तनेजा ने कहा कि जब तेल की कीमतें कम होती हैं, तो सरकार उत्पाद शुल्क बढ़ाती है, जब तेल बहुत महंगा होता है, तो सरकार उत्पाद शुल्क कम करती है. खपत और बिक्री कोरोना काल में तेल की मात्रा की तुलना में 40 प्रतिशत तक कम हो गई थी. हालांकि बाद में यह 35 प्रतिशत तक आ गई. जब बिक्री कम हो जाएगी तो सरकार की आय अपने आप घट जाएगी, लेकिन अब बिक्री कोरोना काल के पहले के स्तर पर वापस आ गई है.
उन्होंने कहा कि दूसरा, जीएसटी संग्रह आर्थिक सुधार के लिए सकारात्मक संकेत दे रहा है. सरकार पहले की तुलना में अपेक्षाकृत आरामदायक स्थिति में है. साथ ही, हमारी अर्थव्यवस्था डीजल पर आधारित है. अगर डीजल की कीमत बढ़ती है तो हर सामान की कीमत बढ़ जाती है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है.
ये भी पढ़ें: PAN Card: शादी के बाद पैन कार्ड में कर लें ये जरूरी बदलाव, नहीं तो होगी परेशानी
तनेजा का मानना है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए, ताकि ज्यादा राहत मिल सके और ज्यादा पारदर्शिता भी आए. बता दें वित्त मंत्रालय ने उपभोक्ताओं को राहत देते हुए बुधवार को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में पांच रुपये प्रति लीटर और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की थी. ईंधन की रिकॉर्ड उच्च कीमतों के बीच, तीन वर्षों में केंद्रीय उत्पाद शुल्क में यह पहली कटौती है. इसके बाद कई राज्यों ने भी वैट में कमी की.
(इनपुट- एएनआई)
LIVE TV