सूत्रों का अनुमान अगर सही रहा तो फर्नीचर (Furniture) का कच्चा माल, कॉपर स्क्रैप, केमिकल, टेलीकॉम उपकरण और रबर प्रोडक्ट्स पर कस्टम ड्यूटी में बदलाव किया जा सकता है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि पॉलिश किए गए हीरे, रबड़ के सामान, चमड़े के कपड़े, दूरसंचार उपकरण और कालीन जैसे 20 से ज्यादा प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क में कटौती की जा सकती है. इसका असर तैयार सामानों की कीमतों पर दिख सकता है. कस्टम ड्यूटी घटने से कुछ सामान सस्ते हो सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, इन सामानों पर आयात शुल्क में बदलाव करने से आत्मनिर्भर भारत अभियान को मदद मिलेगी और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा.
इसके अलावा फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल होने वाले कुछ रॉ मैटीयिरल जैसे रफ वुड, स्वान वुड और हार्ड बोड पर कस्टम ड्यूटी हटाई जा सकती है. यानी कुछ बिना रंदी लकड़ियों और हार्डबोर्ड आदि पर सीमा शुल्क पूरी तरह खत्म किया जा सकता है. खबर के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि महंगा कच्चा माल इंटरनेशनल लेवल पर बाजार में भारत के कंपटीशन को प्रभावित करता है. देश से फर्नीचर का एक्सपोर्ट बहुत कम (करीब 1 परसेंट) है, जबकि चीन और वियतनाम जैसे देश इस भारत से कहीं आगे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने कोलतार और तांबा स्क्रैप पर सीमा शुल्क को कम करने पर भी विचार कर सकती है. सरकार ने घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पहले ही कई कदम उठाए हैं. जबकि कुछ तैयार सामान जैसे कि रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन और क्लॉथ ड्रायर पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है
सरकार घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पहले ही कई कदम उठाए हैं. इसमें एयर कंडिशनर्स और एलईडी लाइट्स जैसे कई सेक्टर के लिए प्रोडक्टशन लिंक्ड इंसेंटिव्स स्कीम्स (PLI) पेश की गई है. सूत्रों के अनुसार, इन सामानों पर आयात शुल्क में बदलाव करने से आत्मनिर्भर भारत अभियान को मदद मिलेगी और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा. पिछले साल सरकार ने फर्नीचर, खिलौने और फुटवियर जैसे कई उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था
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