एलन मस्क (Elon Musk ) की कंपनी Telsa ने भारत में अपनी कारें बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया है. जून-जुलाई 2021 के आस-पास Tesla भारत में अपने कदम भारत में रख देगी, सूत्र बताते हैं कि Tesla सबसे पहले अपनी Model 3 इलेक्ट्रिक सेडान को भारत में लॉन्च करेगी.
इलेक्ट्रिक कारों की दुनिया में चुनिंदा बड़ी कंपनियों में शुमार Tesla भारत में ही अपनी कारें बनाए और दुनिया को एक्सपोर्ट करे, इसे लेकर भारत ने एलन मस्क को ऑफर दिया है. सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Transport minister Nitin Gadkari) ने न्यूज एजेंसी Reuters को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि टेस्ला को भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारों की असेंबलिंग करने की बजाय लोकल वेंडर्स के जरिए पूरा प्रोडक्ट ही यहां बनाना चाहिए.
गडकरी ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो उन्हें ज्यादा से ज्यादा छूट दी जाएगी. हालांकि गडकरी ने ये नहीं बताया कि किस तरह की छूट दी जा सकती है. गडकरी ने कहा कि सरकार इस बात का भरोसा देगी कि अगर वो अपनी कारें भारत में बनाना शुरू करते हैं तो Tesla की उत्पादन लागत दुनिया में सबसे कम हो, यहां तक की चीन से भी सस्ता पड़ेगा, हम इस बात का आश्वासन देंगे. गडकरी का कहना है कि भारत एक बड़ा बाजार होने के साथ साथ एक एक्सपोर्ट हब भी हो सकता है, खासतौर पर जब लीथियम आयन बैटरीज का 80 परसेंट घरेलू स्तर पर तैयार हो रहा है.
दरअसल भारत इलेक्ट्रिक गाड़ियों, बैटरी और दूसरे कंपोनेंट्स की लोकल मैन्यूफैक्चरिंग पर बहुत जोर दे रहा है, ताकि महंगे इंपोर्ट में कटौती की जा सके और बढ़ते प्रदूषण पर काबू पाया जाए. हालांकि Tesla की ओर से लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर अबतक किसी तरह का कोई वादा नहीं किया गया है.
अभी भारत में इलेक्ट्रिक कारों का मार्केट बहुत छोटा है, पिछले साल 24 लाख गाड़ियां बिकीं जिसमें इलेक्ट्रिक कारें सिर्फ 5000 थीं. चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर देश में नहीं के बराबर है और इलेक्ट्रिक व्हीकल की कीमतें भी बेहद ज्यादा हैं, जिससे ग्राहक अब भी इलेक्ट्रिक कारों से दूरी बना रहे हैं. दरअसल भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को लेकर एक विस्तृत पॉलिसी भी नहीं हैं, जबकि चीन में बाकायदा इसके लिए दिशा-निर्देश हैं.
जबकि चीन में Tesla पहले से ही कारों की मैन्यूफैक्चरिंग कर रही है. 2020 में अबतक 12.5 लाख कारें बेच चुकी है, जिसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स भी शामिल हैं, जबकि टेस्ला की कुल बिक्री 2 करोड़ गाड़ियों की है. दुनिया में जितनी गाड़ियां Tesla बेचती है, उसका एक तिहाई हिस्सा चीन से आता है.
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