नकदीरहित भुगतान पर उपभोक्ताओं को जीएसटी कैशबैक की पेशकश करेंगे राज्य
Advertisement

नकदीरहित भुगतान पर उपभोक्ताओं को जीएसटी कैशबैक की पेशकश करेंगे राज्य

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने रूपे कार्ड, भीम एप तथा यूपीआई प्रणाली के जरिए डिजिटल भुगतान करने पर कैशबैश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने रूपे कार्ड, भीम एप तथा यूपीआई प्रणाली के जरिए डिजिटल भुगतान करने पर कैशबैश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसका मकसद ग्रामीण तथा अर्द्धशहरी क्षेत्रों में नकदीरहित भुगतान को प्रोत्साहन देना है. डिजिटल भुगतान के लिए कैशबैक की यह व्यवस्था परीक्षण के आधार पर शुरू की जा रही है. वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को जीएसटी परिषद की बैठक के बाद कहा कि राज्य स्वैच्छिक आधार पर इसे लागू करेंगे. जीएसटीन, नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन आफ इंडिया इसके लिए जल्द एक प्रणाली विकसित करेंगे. 

बैठक में इस मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील मोदी की अध्यक्षता में मंत्रियों की एक समिति की सिफारिश के आधार पर ग्राहकों को कर के 20 प्रतिशत या अधिकतम 100 रुपये तक का कैशबैक देने की योजना पायलट आधार पर शुरू करने को मंजूरी दी गयी. गोयल ने कहा, ‘‘हमने एक पायलट परियोजना को शुरू करने का फैसला किया है. इसके लिए व्यापक रूपरेखा बनाई जा रही है ताकि रूपे डेबिट कार्ड, भीम, आधार, यूपीआई और यूएसएसडी लेनदेन पर प्रोत्साहन दिया जा सके. इनका इस्तेमाल ज्यादातर गरीबों द्वारा किया जाता है.’’ 

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की अगुवाई वाले एक मंत्री समूह ने शुक्रवार को कैशबैक व्यवस्था को अंतिम रूप दिया है. मंत्री समूह का आकलन है कि इससे सालाना 1,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा. गोयल ने कहा कि परिषद ने कैशबैक पहल के लिए साफ्टवेयर और बैकएंड तैयार करने का फैसला किया है. जो भी राज्य इसे लागू करने की इच्छा जताएंगे पायलट परियोजना वहां चलाई जाएगी और राज्य के राजस्व पर होने वाले असर का आकलन किया जाएगा. जीएसटी परिषद की बैठक में इसके अलावा सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) से जुड़े जीएसटी के मसलों पर विचार के लिए केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला की अध्यक्षता में मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) गठित करने का निर्णय किया गया.

इस मंत्री समूह के अन्य सदस्यों में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा, केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक और पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल शामिल हैं. बैठक में यह भी तय किया गया कि इसके साथ साथ एमएसएमई क्षेत्र से जुड़े कानून व प्रक्रिया संबंधी मामलों पर विधि समिति विचार करेगी जिसमें केंद्र और राज्यों के कर अधिकारी होते हैं. इसी तरह इस क्षेत्र के कर से संबंधित मुद्दों पर कर अधिकारियों की फिटमेंट समिति विचार करेगी. ये अपनी सिफारिशें मंत्री समूह को देंगी. मंत्री समूह छह सप्ताह में अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देगा. 

एमएसएमई के समक्ष आने वाले मुद्दों पर सिसोदिया ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद से ही यह क्षेत्र चिंतित है. जीएसटी से पहले छोटी इकाइयों के डेढ़ करोड़ रुपये तक के कारोबार पर उत्पाद शुल्क की छूट थी. सिसोदिया ने कहा, ‘‘एक तरफ बड़ी कंपनियां हैं, जो अधिक कर देती हैं, दूसरी ओर छोटी इकाइयां हैं, जिनकी संख्या काफी अधिक है और जो रोजगार देती हैं. दोनों को महत्व दिए जाने की जरूरत है.’’ पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि लघु एवं मझोले उपक्रम देश में 70 से 80 प्रतिशत रोजगार देते हैं, लेकिन उन्हें भारी नुकसान हो रहा है. जीएसटी परिषद की अगली बैठक 28-29 सितंबर को गोवा में होगी.

(इनपुट भाषा से)

Trending news