प्रशांत महासागर के द्वीप देशों को 'आगमन पर वीजा' की सौगात
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प्रशांत महासागर के द्वीप देशों को 'आगमन पर वीजा' की सौगात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्रशांत महासागर में स्थित 14 द्वीप देशों की ओर हाथ बढ़ाते हुए 10 लाख डालर के कोष की स्थापना और उन्हें आगमन पर वीजा की घोषणा की। इसके अलावा संबंध मजबूत करने के लिए कई पहलें की गईं।

प्रशांत महासागर के द्वीप देशों को 'आगमन पर वीजा' की सौगात

सुवा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्रशांत महासागर में स्थित 14 द्वीप देशों की ओर हाथ बढ़ाते हुए 10 लाख डालर के कोष की स्थापना और उन्हें आगमन पर वीजा की घोषणा की। इसके अलावा संबंध मजबूत करने के लिए कई पहलें की गईं।

क्षेत्रीय नेताओं के साथ बैठक में मोदी ने कहा कि भारत प्रशांत महासागर में स्थित द्वीप देशों के साथ गहन भागीदारी का इच्छुक है और उन्होंने 10 लाख डालर का विशेष अनुकूलन कोष स्थापित करने की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस कोष की स्थापना के जरिए भारत को अपने प्रशांत क्षेत्र के द्वीप भागीदारों को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान कर खुशी होगी।’

मोदी ने टेली-मेडिसिन और दूरस्थ शिक्षा (टेली एजुकेशन) के लिए अखिल प्रशांत द्वीप परियोजना के विकास का प्रस्ताव किया और कहा, ‘द्वीपों के बीच दूरी और संपर्क (कनेक्टिविटी) सुविधा में कमी के मद्देनजर ई-नेटवर्क समन्वय का प्रभावी माध्यम हो सकता है।’ वीजा समस्या के कारण यात्रा में असुविधा को ध्यान में रखते हुए मोदी ने प्रशांत महासागर में 14 द्वीप देशों के लिए आगमन पर वीजा की सुविधा मुहैया कराने की घोषणा की और उम्मीद जताई कि आदान-प्रदान में सहूलियत होगी और इससे लोगों के बीच बेहतर समझ को बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने कहा, ‘मैं सभी प्रशांत द्वीप देशों - कुक द्वीप समूह, टोंगा, तुवालु, नौरू गणतंत्र, किरिबाती गणतंत्र, वानुआतू, सोलोमन द्वीपसमूह, सामोआ, नियू, पलो गणतंत्र, माइक्रोनेसिया, मार्शल द्वीपसमूह गणतंत्र, फिजी, पापुआ न्यू गिनी - के नागरिकों को आगमन पर सुविधा मुहैया कराना चाहूंगा।’

मोदी ने सामुदायिक परियोजनाओं के लिए हर प्रशांत द्वीप देश को दिया जाने वाला अनुदान 1,25,000 से बढ़ाकर 2,00,000 डालर सालाना करने की भी घोषणा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत नयी दिल्ली में व्यापार कार्यालय की स्थापना में मदद करने का इच्छुक है ताकि भारत और प्रशांत द्वीप देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा दिया जा सके।

उन्होंने कहा, ‘हम आईटीपीओ द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों के दौरान प्रशांत द्वीप देशों को मुफ्त में जगह मुहैया कराएंगे ताकि आपके उत्पादों की नुमाइश हो सके।’ उन्होंने कहा, ‘हम पारंपरिक औषधि के क्षेत्र में संयुक्त रूप से अनुसंधान कर सकते हैं। इस क्षेत्र के लोगों के फायदे के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित करने के विकल्पों की तलाश करें।’

मोदी ने कृषि, स्वास्थ्य और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र समेत विभिन्न क्षेत्रों में प्रशांत द्वीप देशों में तकनीकी विशेषज्ञों की नियुक्ति का भी प्रस्ताव किया। उन्होंने लोगों के जीव स्तर और संचार में सुधार लाने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ऐप्लिकेशन के उपयोग में सहयोग प्रदान करने की भी पेशकश की।

उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे आंकड़े साझा करने की संभावनाओं पर भी विचार कर सकते हैं जिनका उपयोग जलवायु परिवर्तन की निगरानी, आपदा-जोखिम में कमी एवं प्रबंधन और संसाधन प्रबंधन के लिए हो सकता है।’ मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन उनके लिए बड़ी समस्या है।

उन्होंने कहा, ‘हम सामुदायिक स्तर पर प्रशांत द्वीप देशों के साथ एक सौर परियोजना पर भी काम रहे है। प्रशांत द्वीपों में क्षेत्रीय केंद्र बनाए जाएंगे।’ मोदी ने प्रशांत द्वीप देशों को राजनयिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भी पेशकश की और एक विशिष्ट आगंतुक कार्यक्रम का भी प्रस्ताव किया जिसके तहत दोनों पक्ष आपसी फायदे वाला आर्थिक सहयोग बढ़ाने के मकसद से नये विचारों को ढूंढने के लिए गोष्ठियों का आयोजन कर सकते हैं।

उन्होंने प्रस्ताव किया कि भारत-प्रशांत द्वीप सहयेाग मंच (एफआईपीआईसी) की बैठक नियमित तौर पर होगी। मोदी ने 2015 में नयी दिल्ली में अगली बैठक के लिए नेताओं को आमंत्रित भी किया।

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