आरबीआई गवर्नर विरले ही बेबाक होते हैं, लेकिन रघुराम राजन अनोखे थे जिन्होंने जेम्स बांड शैली में कभी कहा था--‘मेरा नाम राजन है और मैं जो करता हूं वो करता हूं’ और आर्थिक से लेकर राजनीतिक मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखते थे।
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मुंबई: आरबीआई गवर्नर विरले ही बेबाक होते हैं, लेकिन रघुराम राजन अनोखे थे जिन्होंने जेम्स बांड शैली में कभी कहा था--‘मेरा नाम राजन है और मैं जो करता हूं वो करता हूं’ और आर्थिक से लेकर राजनीतिक मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखते थे।
अपनी प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए राजन ने आज खुद ही अपने दूसरे कार्यकाल के लिए मना करके इस बारे में लेकर लगाई जा रही तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया। लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि वह महंगाई पर रोक लगाने और बैंकों के रिकॉर्ड को साफ करने के अपने अधूरे काम को देखने के लिए तैयार हैं।
गोमांस खाने की अफवाह को लेकर एक मुस्लिम की हत्या के बाद उठा असहिष्णुता का मुद्दा हो या भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना अंधों में काना राजा से करने की हो, सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों पर सवाल उठाना हो या नए जीडीपी आंकड़ों पर सवाल खड़े करना हो राजन अक्सर बेबाकी से बोलते थे और सरकार की पसंद के अनुसार बात नहीं करते थे।
‘ब्रेक्जिट’ की तर्ज पर राजन के आरबीआई गवर्नर बने रहने की अटकलों पर एक नया शब्द ‘रेक्जिट’ गढ़ा गया था। ब्रेक्जिट शब्द का इस्तेमाल इस बात पर होने वाले मतदान के लिए हो रहा है कि ब्रिटेन यूरोप में बना रहेगा या नहीं।
जब राज्यसभा में भाजपा के सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आरबीआई गवर्नर पर हमला करते हुए सवाल किया कि क्या राजन ‘मानसिक तौर पर पूरी तरह भारतीय’ हैं तो आईएमएफ के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि वह ‘निजी हमलों’ का जवाब नहीं देंगे और ‘इस तरह के बुनियादी तौर पर गलत और निराधार’ आरोपों को वैधता नहीं प्रदान करेंगे।