राहतः RBI ने घटाया रेपो और रिवर्स रेपो रेट, क्‍या कम होगी EMI?
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राहतः RBI ने घटाया रेपो और रिवर्स रेपो रेट, क्‍या कम होगी EMI?

RBI के इस कदम के बाद बड़ा सवाल यह है कि क्‍या होम लोन और ऑटो लोन की ईएमआई कम होगी? इससे पहले रिजर्व बैंक ने अक्‍टूबर 2016 में रेपो रेट में कटौती की थी. मौद्रिक नीति समिति ने निजी निवेश में नई जान फूंकने, बुनियादी ढांचा क्षेत्र की बाधाओं को दूर करने तथा प्रधानमंत्री आवास योजना पर विशेष जोर देने की जरूरत पर बल दिया. आरबीआई की ओर से कहा गया है कि हम कंपनियों के फंसे बड़े कर्ज के समाधान तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी डालने के लिये सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के 6 में से 4 सदस्य रेट कट के पक्ष में थे. (file pic)

नई दिल्‍ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी रेपो रेट और रिवर्स रेप रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. आरबीआई के इस कदम के बाद आम आदमी को राहत मिलने की उम्‍मीद की जा रही है. यह फैसला आरबीआई ने मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए लिया है. नए फैसले के बाद रेपो रेट 6.25 से घटकर 6 फीसदी, जबकि रिवर्स रेपो रेट को 6 फीसदी से 5.75 फीसदी कर दिया गया है. इसके अलावा महंगाई दर को भी 4 फीसदी बरकरार रखने का लक्ष्य रखा गया है.

RBI के इस कदम के बाद बड़ा सवाल यह है कि क्‍या होम लोन और ऑटो लोन की ईएमआई कम होगी? इससे पहले रिजर्व बैंक ने अक्‍टूबर 2016 में रेपो रेट में कटौती की थी. मौद्रिक नीति समिति ने निजी निवेश में नई जान फूंकने, बुनियादी ढांचा क्षेत्र की बाधाओं को दूर करने तथा प्रधानमंत्री आवास योजना पर विशेष जोर देने की जरूरत पर बल दिया. आरबीआई की ओर से कहा गया है कि हम कंपनियों के फंसे बड़े कर्ज के समाधान तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी डालने के लिये सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

प्रेस कांफ्रेंस में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने माना कि जीएसटी को पूरे देश में बड़ी सहजता से लागू कर लिया गया. उन्होंने कहा कि अच्छे मानसून और जीएसटी के सहजता से लागू हो जाने की वजह से कमिटी को नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का फैसला लेने में आसानी हुई.

गौरतलब है कि मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के 6 में से 4 सदस्य रेट कट के पक्ष में थे. कमेटी के सदस्य प्रो. रविंद्र ढोलकिया ने तो आधे प्रतिशत की कटौती की सिफारिश की थी. हालांकि, यह समिति में सर्वमान्य नहीं हुई. इस लिहाज से उम्मीद की जा सकती है कि दो महीने बाद होनेवाली अगली मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में भी चौथाई प्रतिशत की कटौती का फैसला लिया जाएगा.

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