इस संबंध में आरबीआई के मुताबिक आचार्य ने कहा है कि निजी कारणों के चलते 23 जुलाई के बाद उनके लिए इस पद पर बने रहना संभव नहीं होगा.
Trending Photos
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इस्तीफा दे दिया है. आचार्य ने अपने कार्यकाल के खत्म होने से छह महीने पहले इस्तीफा दे दिया है. इस संबंध में आरबीआई के मुताबिक आचार्य ने खत लिखकर सूचित किया है कि निजी कारणों के चलते 23 जुलाई के बाद उनके लिए इस पद पर बने रहना संभव नहीं होगा. उपजे पत्र से उपजे हालात पर विचार किया जा रहा है. हालांकि आरबीआई ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनका इस्तीफा स्वीकार हुआ है या नहीं.
विरल आचार्य ने 2017 में आरबीआई को ज्वाइन किया था और उनका तीन साल का कार्यकाल जनवरी, 2020 में पूरा होना था. उनके इस्तीफे की पुष्टि होने की दशा में आरबीआई में शीर्ष स्तर पर दो पद खाली होंगे. आचार्य के इस्तीफे के बीच एनएस विश्वनाथन तीन जुलाई, 2019 को रिटायर हो रहे हैं. विरल आचार्य मौद्रिक नीति, रिसर्च और वित्तीय स्थिरता से जुड़े मामले देखते थे. विश्वनाथन बैंकिंग रेलुगेशन और रिस्क मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के इंचार्ज हैं.
आर्थिक गतिविधियां खो रहीं हैं रफ्तार, निर्णायक मौद्रिक नीति की जरूरत, दास ने बैठक में कहा
इस तरह आरबीआई में छह महीने के भीतर ये दूसरा बड़ा हाई-प्रोफाइल इस्तीफा है. दिसंबर में गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकार से मतभेदों के चलते अपने कार्यकाल खत्म होने के नौ महीने पहले इस्तीफा दे दिया था. उल्लेखनीय है कि सितंबर 2016 में उर्जित पटेल के गवर्नर बनने के बाद विरल आचार्य को उनकी जगह डिप्टी गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल तीन साल का था. उनके इस्तीफे के साथ ही आरबीआई में अब तीन डिप्टी गवर्नर बचे हैं- एनएस विश्वनाथन, बीपी कानूनगो और एमके जैन. आचार्य की नियुक्ति ऐसे वक्त हुई थी जब नोटबंदी के बाद धन जमा करने और निकासी के नियमों में लगातार बदलाव के कारण केंद्रीय बैंक की आलोचना हुई थी.
विरल आचार्य
आरबीआई ज्वाइन करने से पहले विरल आचार्य अकादमिक क्षेत्र से जुड़े रहे हैं. वह न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे हैं और अपने आप को ‘गरीब व्यक्ति का रघुराम राजन’कहते हैं. वह वित्तीय क्षेत्र में प्रणालीगत जोखिम क्षेत्र में विश्लेषण और शोध के लिये जाने जाते हैं. आईआईटी मुंबई के छात्र रहे आचार्य ने 1995 में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में स्नातक और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से 2001 में वित्त में पीएचडी की है. वर्ष 2001 से 2008 तक आचार्य लंदन बिजनेस स्कूल में भी रहे.
(इनपुट: न्यूज एजेंसी PTI के साथ)