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हैदराबाद: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने नोटबंदी को ‘एक रचनात्मक विध्वंस’ बताते हुए इसे 1991 के सुधारों के बाद अब तक का सबसे बड़ा ‘‘उलटफेर पैदा करने वाला नीतिगत नवप्रवर्तन’’ करार दिया है। इससे कालाधन को नष्ट करने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा ,‘‘ गत 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा रिजर्व बैंक ने एक झटके में 86 प्रतिशत मुद्रा चलन से बाहर कर दी। इसी लिए कहा जा सकता है कि यह निश्चित रूप से ‘1991 के सुधारोें के बाद सबसे बड़ा उलटफेर वाला नीतिगत नवप्रवर्तन’ है।
बैंकिंग प्रौद्योगिकी में विकास एवं शोध संस्थान द्वारा यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को आज संबोधित करते हुए सुब्बाराव ने कहा, ‘एक प्रकार से नोटबंदी ‘रचनात्मक विध्वंस है।’ यह एक विशेष प्रकार का रचनात्मक विध्वंस है। क्योंकि इसने जो चीज नष्ट की है वह है-कालाधन जो कि एक ‘विनासकारी सृजन’’ है। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि नोटबंदी ‘विध्वंस वाले एक सृजन’ (कालेधन) का ‘‘रचनात्मक विध्वंस’ है।’ उन्होंने कहा कि नोटबंदी से भारतीय वित्तीय क्षेत्र में भुगतान के डिजिटलीकरण के जरिये कई प्रकार के नवप्रवर्तन हो रहे हैं।
सुब्बाराव ने कहा कि नोटबंदी की लागत और इसके लाभ एक लगातार बहस वाली प्रक्रिया हैं। लेकिन नीतिगत नवप्रवर्तन पर कोई विवाद नहीं है। पूर्व गवर्नर का मानना है कि देश ने भुगतान प्रणाली में काफी उलटफेर वाला नवप्रवर्तन देखा है।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि परंपरागत बंकों को सस्ती दर की बचत मिलती है। इससे वे अन्य वित्तीय संस्थानों के मुकाबले मजबूत स्थिति में रहते हैं।