RBI गवर्नर ने संसद की स्थायी समिति को दिया वचन, '10-15 सवालों का जवाब लिखित में दूंगा'
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RBI गवर्नर ने संसद की स्थायी समिति को दिया वचन, '10-15 सवालों का जवाब लिखित में दूंगा'

सूत्र के मुताबिक संसद की स्थायी समिति ने पटेल से बड़ी संख्या में सवाल पूछे. आरबीआई गवर्नर से 10 से 15 दिनों में लिखित जवाब देने को कहा गया.

सदस्यों ने बासेल तीन के तहत बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता नियम के क्रियान्वयन के बारे में सवाल पूछे.

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने मंगलवार को संसद की एक समित को वचन दिया कि वह केंद्रीय बैंक से संबंधित कुछ विवादास्पद मुद्दों पर अपनी बात लिखित रूप में प्रस्तुत करेंगे. सूत्रों ने कहा कि इन मुद्दों में सरकार की ओर से रिजर्व बैंक की उस धारा का प्रयोग करने का भी मुद्दा है जिसका उल्लख इससे पहले किसी सरकार ने नहीं किया था. संबंधित धारा के तहत सरकार रिजर्व बैंक को निर्देश दे सकती है.

वित्त पर संसद की स्थायी समिति के समक्ष पेश पटेल ने कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद सुदृढ़ है और तेल के दाम के चार साल के उच्च स्तर से नीचे आने से और मजबूती मिलेगी. आरबीआई गवर्नर ने संसद सदस्यों ने यह भी कहा कि कर्ज में वृद्धि 15 प्रतिशत है और नवंबर 2016 में नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर अस्थायी प्रभाव पड़ा. इससे पहले, पटेल को 12 नवंबर को समिति के समक्ष उपस्थित होना था.

सूत्रों के अनुसार हालांकि उन्होंने आरबीआई कानून की धारा 7 के उपयोग, फंसे कर्ज, केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता और अन्य जटिल मुद्दों पर कुछ नहीं कहा. पटेल ने समिति के समक्ष अर्थव्यवस्था की स्थिति के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अपनी बातें रखी. कई सदस्यों ने इस पर सवाल पूछे. अर्थव्यवस्था को लेकर उनके विचार सकारात्मक थे. सूत्रों ने कहा, "उन्होंने सरकार द्वारा विशेष शक्ति के उपयोग जैसे विवादास्पद सवालों का जवाब नहीं दिया और बुद्धिमानीपूर्वक अपनी बातें रखी."

सदस्यों ने बासेल तीन के तहत बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता नियम के क्रियान्वयन के बारे में सवाल पूछे. इस संदर्भ में गवर्नर ने कहा कि भारत जी-20 देशों को लेकर प्रतिबद्ध है और वैश्विक नियमों से बंधा है. एक अन्य सूत्र ने कहा कि बड़ी संख्या में सवाल पूछे गए. गवर्नर से 10 से 15 दिनों में लिखित जवाब देने को कहा गया.

आरबीआई गवर्नर समिति के समक्ष ऐसे समय पेश हो रहे हैं जब केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरा मतभेद है. इन मुद्दों में आरबीआई के पास पड़े आरक्षित कोष का उचित आकार क्या हो तथा लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए कर्ज के नियमों में ढील के मामले शामिल हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति के सदस्य हैं. बैंक खासकर सरकारी बैंक इस समय फंसे कर्ज की समस्या से जूझ रहे हैं. हाल में आईएल एंड एफएस के चूक से महत्वपूर्ण एनबीएफसी क्षेत्र के लिए नकदी संकट रहा है.

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