दिल्ली: हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (Housing Finance CompanY) पर आरबीआई ने शिकंजा कसा है. आरबीआई ने दिशा निर्देशों की नई गाइडलाइंस जारी की है जो लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो, रिस्क मैनेजमेंट, एसेट क्लासिफिकेशन और लोन टू वैल्यू रेश्यो से संबधित है. इसके अलावा आरबीआई की कोशिश है कि पूरा सिस्टम कुछ इस तरह से चले जिससे किसी को भी कोई दिक्कत न हो. आरबीआई ने फ्यूचर प्लान के हिसाब से भी कुछ सलाह भी HFCs को दी है.


क्यों जारी करने पड़े दिशा-निर्देश


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रिजर्व बैंक के मुताबिक सभी दिशा-निर्देशों का पालन तत्काल प्रभाव से करने को कहा गया है. बताया जा रहा है कि इन नए निर्देशों को इसलिए जारी किया गया है क्योंकि हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFCs) की काफी शिकायतें मिल रही थीं. आरबीआई ने साफ कहा है कि HFCs इस तरह का कोई भी काम न करें, जिससे निवेशकों और जमाकर्ताओं को कोई नुकसान न हो. नए दिशा-निर्देश के मुताबिक, लिस्टेड शेयरों की गारंटी लेकर लोन देने वाले HFCs को 50 फीसदी का लोन टू वैल्यू रेशियो मेंटेन करना होगा. गोल्ड ज्वेलरी की गारंटी पर लोन देने पर HFCs को 75 फीसदी का एलटीवी रेशियो भी मेंटेन करना होगा.


क्या होता है HFC?


किसी भी नॉन-बैंकिग फाइनेंशियल कंपनी की टोटल एसेट का 60 फीसदी हिस्सा हाउसिंग सेक्टर को लोन कराने के लिए दिए जाता है तो उसको एचएफसी (HFC) कहा जाता है. आरबीआई ने कहा है कि HFCs को लिक्विडिटी कवरेज रेशियो के संदर्भ में एक लिक्विटी बफर मेंटेन करना होगा. इससे भविष्य में नकदी से जुड़ी किसी तरह की समस्या आने पर उन्हें इस फंड से मदद मिलेगी.


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लगातार सुधार की कोशिश में आरबीआई


रिजर्व बैंक देश के बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में कामकाज को और बेहतर ढंग से सुनिश्चित करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. कोरोना काल में आईं आर्थिक समस्याओं को देखते हुए आरबीआई भविष्य के लिए ऐसे कदम उठा रहा है जिससे मुश्किल वक्त में फंड की कोई दिक्कत न हो.



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