RBI ने नीतिगत दर जस-की-तस बनाए रखी, बैंकों से कहा -ब्याज दर कम करें
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RBI ने नीतिगत दर जस-की-तस बनाए रखी, बैंकों से कहा -ब्याज दर कम करें

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी नई क्रेडिट पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई ने नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा। आरबीआई ने रेपो दर को 7.25 प्रतिशत और नकदी आरक्षित अनुपात (सीआरआर) चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा। आरबीआई के गर्नवर रघुराम राजन ने कहा कि आर्थिक स्थिति में सुधार की प्रक्रिया जारी है और महंगाई पर हमारी पैनी नजर है।

RBI ने नीतिगत दर जस-की-तस बनाए रखी, बैंकों से कहा -ब्याज दर कम करें

मुंबई: रिजर्व बैंक ने उंची महंगाई दर का हवाला देते हुए आज अपनी नीतिगत दर पहले के स्तर पर बनाए रखी। साथ ही आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों ने इस वर्ष नीतिगत दरों में की गयी कटौतियों का पूरा फायदा ग्राहकों तक अभी नहीं पहुंचाया है। आरबीआई ने 2015 में अपनी रेपो दर में अब तक तीन बार 0.25-0.25 प्रतिशत की तक की तीन बार कटौती की है। रेपो दर वह दर है जिस पर वह बैंकों को फौरी जरूरत के लिए उधार देता है।

राजन ने कहा कि नीतिगत दर में जून में कमी पहले ही कर दी गयी। उन्होंने कहा कि इस समय मौद्रिक नीति में नरमी का रख बरकरार रखते हुए नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखना ही उचित है। राजन ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए यहां कहा कि आरबीआई यह देख रहा है कि बैंक पहले दी गयी ढील का फायदा और अधिक फायदा ग्राहकों तक कब पहुंचाते हैं। गवर्नर ने कहा कि नीतिगत दरों में और नरमी की गुंजाइश के लिए केंद्रीय बैंक उभरते अवसरों पर ध्यान रखेगा।

आरबीआई की रपो दर 7.25 प्रतिशत पर बकरार है। इसी तरह रिजर्व बैंक के नियंत्रण में रखी जाने वाली बैंकों की नकदी या आरक्षित नकदी अनुपात चार प्रतिशत पर बना रहेगा। राजन ने कहा कि मौद्रिक नीति को प्रभावित करने वाले कारकों के कर अनिश्चितता की स्थिति आने वाले दिनों में सुलझ जाएगी जिनमें उच्च मुद्रास्फीति का बरकरार रहना, मानसून और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित पहल को लेकर अनिश्चिता की स्थिति शामिल है। इनके चलते रिजर्व बैंक को नीतिगत दर बढानी भी पड़ सकती है।

उन्होंने कहा कि बैंकों ने इस वर्ष अब तक ग्राहकों के लिए ब्याज दर में औसतन 0.30 प्रतिशत की कटौती की है जबकि आरबीआई ने नीतिगत दर में कुल मिला कर 0.75 प्रतिशत घटाई है। राजन ने ब्याज दर न घटाने के संबंध में अप्रैल और जून में बैंकों को फटकार लगाई थी। राजन ने उम्मीद जताई कि तीसरी तिमाही से रिणों की मांग बढेगी और तब बैंकों को नए ग्राहक पकड़ने के लिए ब्याज दर घटाने और कटौती का उन्हें अधिक फायदा देने में अपना अधिक फायदा नजर आएगा।

राजन ने हालांकि यह भी कहा कि सबसे चिंताजनक बात है गैर-खाद्य एवं ईंधन मुद्रास्फीति का बढ़ना। साथ ही उन्होंने कहा कि सेवा-कर की बढी हुई दर (14 प्रतिशत) जून से लागू होने का असर मुद्रास्फीति के उपर साल भर दिखेगा। आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं के बारे में राजन ने कहा कि परिदृश्य धीरे-धीरे सुधर रहा है। उन्होंने चालू वित्त वर्ष में 7.6 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को बरकरार रखा।

उन्होंने हालांकि चेतावनी दी कि निर्यात में संकुचन आने वाले दिनों में वृद्धि के लिए लंबे समय तक असर छोड़ेगा। उन्होंने कहा कि जून की तिमाही में वैश्विक आर्थिक गतिविधि में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। विश्लेषकों को लग रहा था कि मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी को देखते हुए आज की नीतिगत समीक्षा में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। खाद्य कीमत बढ़ने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 5.4 प्रतिशत हो गई थी जो इससे पिछले महीने 5.01 प्रतिशत थी जबकि तुलनात्मक आधार अनुकूल था।

पर कुछ लोग आज रेपो में कटौती के पक्ष में थे। उनका अनुमान था कि मुद्रास्फीति का दबाव कम होने की संभावनाओं और आर्थिक वृद्धि में नरमी के मद्देनजर केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में कटौती पर विचार करने को प्रेरित होगा। औद्योगिक वृद्धि दर मई में घटकर 2.7 प्रतिशत रही जो पिछले महीने 3.4 प्रतिशत थी।

आरबीआई अगले साल जनवरी तक मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत के कम के स्तर पर नियंत्रित रखना चाहता है। विश्लेषकों का कहना है कि यह संभव है। केंद्रीय बैंक ने दो साल में इसे घटाकर मुद्रास्फीति को औसतन चार प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। उम्मीद से बेहतर बारिश, फसल बुवाई का विस्तृत दायरा और ईरान परमाणु सौदे के बाद वैश्विक स्तर पर जिंस मूल्य में गिरावट जैसी अनुकूल परिस्थितियों से मुद्रास्फीति का दबाव कम होने की उम्मीद है।

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