RBI को मुख्य नीतिगत दर में कटौती करनी चाहिए: उद्योग जगत
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RBI को मुख्य नीतिगत दर में कटौती करनी चाहिए: उद्योग जगत

मुद्रास्फीति अगस्त में शून्य से 4.95 प्रतिशत नीचे ऐतिहासिक निम्न स्तर पर आ जाने के बीच भारतीय उद्योग ने सोमवार को कहा कि रिजर्व बैंक को मुख्य नीतिगत दर में जरूर कटौती करनी चाहिए ताकि वित्त लागत कम की जा सके और उपभोक्ता मांग में तेजी लाई जा सके जो आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। सीआईआई महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा ‘खुदरा मुद्रास्फीति भी घट रही है इसलिए आरबीआई को नीतिगत दर में भारी कटौती करनी चाहिए ताकि मांग को बढ़ावा दिया जा सके।’ उन्होंने कहा ‘सीआईआई को उम्मीद है कि आरबीआई आगामी नीतिगत समीक्षा में 0.50 प्रतिशत कटौती करेगा। आंकड़े निकट भविष्य में अपेक्षाकृत बेहतर बढ़ोतरी के संकेत दे रहे हैं।’

RBI को मुख्य नीतिगत दर में कटौती करनी चाहिए: उद्योग जगत

नयी दिल्ली: मुद्रास्फीति अगस्त में शून्य से 4.95 प्रतिशत नीचे ऐतिहासिक निम्न स्तर पर आ जाने के बीच भारतीय उद्योग ने सोमवार को कहा कि रिजर्व बैंक को मुख्य नीतिगत दर में जरूर कटौती करनी चाहिए ताकि वित्त लागत कम की जा सके और उपभोक्ता मांग में तेजी लाई जा सके जो आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। सीआईआई महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा ‘खुदरा मुद्रास्फीति भी घट रही है इसलिए आरबीआई को नीतिगत दर में भारी कटौती करनी चाहिए ताकि मांग को बढ़ावा दिया जा सके।’ उन्होंने कहा ‘सीआईआई को उम्मीद है कि आरबीआई आगामी नीतिगत समीक्षा में 0.50 प्रतिशत कटौती करेगा। आंकड़े निकट भविष्य में अपेक्षाकृत बेहतर बढ़ोतरी के संकेत दे रहे हैं।’

मुद्रास्फीति में गिरावट का रुझान लगातार 10वें महीने जारी रहा। सस्ते ईंधन तथा सब्जियों के दाम नीचे रहने से अगस्त में यह शून्य से 4.95 प्रतिशत नीचे ऐतिहासिक निम्न स्तर पर पहुंच गई। इससे आरबीआई पर ब्याज दर में कटौती का दबाव पड़ा। फिक्की की अध्यक्ष ज्योत्स्ना सूरी ने कहा ‘मौजूदा हालात में आरबीआई के लिए सबसे उचित होगा कि वह वृद्धि की संभावनाओं पर विचार करते हुये नीतिगत दर में बड़ी कटौती करे।’  एसोचैम अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा, ‘रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि अंतिम उपयोक्ता के लिये वित्त लागत प्रतिस्पर्धी हो। इससे उपभोक्ताओं की खरीद शक्ति बढ़ेगी और वस्तुओं की मांग को बढ़ावा मिलेगा।’ उद्योग जगत ने अपस्फीति को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मौजूदा रझान को देखते हुये अर्थव्यवस्था में मांग धीमी पड़ सकती है।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा ‘थोक मूल्य सूचकांक की गतिविधियों का खुदरा मुद्रास्फीति पर भी असर होगा और 29 सितंबर को रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की संभावना बढ़ गई है।’ 

 

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